🔴 और यदि प्रभु का स्मरण ही तुम्हारा जीवन- श्रम हो तो एक महान् आनंद तथा निर्विकार शांति तुम्हें प्राप्त होगी; तथा जो बीभत्स लगता था वह सुन्दर प्रतीत होगा और भयंकर- लगता था वह सर्वप्रेममय प्रतीत होगा। और तब उस सन्त के साथ जिसने नाग द्वारा डसे जाने पर कहा था देखो, देखो, मेरे प्रीतम का संदेश वाहक आया है, तुम भी वही कहोगे; या उस सन्त के समान जिसने बाघ के मुँह में भी कहा था, शिवोऽहम् शिवोऽहम्। तुम भी कहोगे, शिवोऽहम्। शिवोऽहम् यही आत्मा की शक्ति है। यही वास्तव में उसका प्रगटीकरण है। यही दिव्यता का भाव है क्योंकि यही दिव्यता का दर्शन है।
🔵 मातृभूमि की रक्षा के लिए योद्धा तोप के मुँह में दौड़ जाता है। माँ अपने बच्चे की प्राणरक्षा के लिए अग्नि में दौड़ जाती है, गहरे जल में पड़ती है, बाघ के मुँह में समा जाती है। मित्र अपने मित्र के लिए प्राण दे देता है। संन्यासी अपने आदर्श के लिए सभी प्रकार के कष्ट सहता है। तुम भी सभी प्रकार की कसौटियों को सहो, विपत्तियों का सामना करो, आदर्श का जीवन जिओ तथा ईश्वर के नाम पर निर्भीक बनो। तुम मेरे पुत्र हो।
🔴 जीवन या मृत्यु में, पुण्य या पाप में, सुख या दुःख में, भले या बुरे में, जहाँ भी तुम जाओ, जहाँ भी तुम रहो, '' तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करता हूँ। मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ। क्योंकि मैं तुमसे बँधा हुआ हूँ। ईश्वर के प्रति मेरा प्रेम मुझे तुम्हूारे साथ एक कर देता है। मैं तुम्हारी रक्षा करता हूँ। मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ। मैं तुम्हारी आत्मा हूँ। वत्स! तुम्हारा हृदय मेरा निवास स्थान है।
हरि ओम् तत् सत्
🌹 क्रमशः जारी
🌹 एफ. जे. अलेक्जेन्डर
🔵 मातृभूमि की रक्षा के लिए योद्धा तोप के मुँह में दौड़ जाता है। माँ अपने बच्चे की प्राणरक्षा के लिए अग्नि में दौड़ जाती है, गहरे जल में पड़ती है, बाघ के मुँह में समा जाती है। मित्र अपने मित्र के लिए प्राण दे देता है। संन्यासी अपने आदर्श के लिए सभी प्रकार के कष्ट सहता है। तुम भी सभी प्रकार की कसौटियों को सहो, विपत्तियों का सामना करो, आदर्श का जीवन जिओ तथा ईश्वर के नाम पर निर्भीक बनो। तुम मेरे पुत्र हो।
🔴 जीवन या मृत्यु में, पुण्य या पाप में, सुख या दुःख में, भले या बुरे में, जहाँ भी तुम जाओ, जहाँ भी तुम रहो, '' तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करता हूँ। मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ। क्योंकि मैं तुमसे बँधा हुआ हूँ। ईश्वर के प्रति मेरा प्रेम मुझे तुम्हूारे साथ एक कर देता है। मैं तुम्हारी रक्षा करता हूँ। मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ। मैं तुम्हारी आत्मा हूँ। वत्स! तुम्हारा हृदय मेरा निवास स्थान है।
हरि ओम् तत् सत्
🌹 क्रमशः जारी
🌹 एफ. जे. अलेक्जेन्डर