🔷 स्वभाव की मृदुलता ग्रहण करें। मृदुल स्वभाव उस व्यक्ति का है जिसे देख कर स्वतः मन में उसके प्रति आकर्षण का भाव उत्पन्न होता है। उसके मुख, स्वभाव तथा चरित्र से मानसिक आकर्षण, प्रेम, तथा आनन्द प्रस्फुटित होता है। मृदुलता के अंतर्गत वे सभी विधियाँ आती हैं जिनके द्वारा मनुष्य दूसरों को प्रसन्न रखता तथा हृदय में अपने प्रति प्रेम उत्पन्न करता है। उसका सबके प्रति प्रेममय, मित्रतापूर्ण व्यवहार होता है। उसका व्यवहार मित्रों और हितैषियों को उसकी ओर आकर्षित करता है। उसमें चिड़चिड़ापन, उत्तेजना, क्रोध, कटुता, कुढ़न इत्यादि नहीं होती।
🔶 मृदु व्यक्ति बड़ा मीठा हंसमुख स्वभाव रखता है सभ्यतापूर्ण ढंग से व्यवहार करता है और प्रेम सहानुभूति से स्निग्ध रहता है। जो व्यक्ति उसके संपर्क में आता है, उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।
🔷 मृदु व्यक्ति सदा दूसरों को प्रसन्न रखने और प्रेम करने की बात सोचता रहता है उसके मित्रों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है। वह उदार, दयावान, और प्रेममय रहता है। इन सद्गुणों के कारण मृदुल व्यक्ति सब स्थितियों और सब प्रकार के व्यक्तियों से बड़ा अच्छा निर्भाव कर लेता है।
🔶 यथा शक्ति दूसरों से प्रेम कीजिए। सहानुभूतिपूर्ण ढंग से अप्रिय कामों को कीजिए। जिससे भी मिलें आपके वाक्य, शब्द और अक्षर प्रेम से सरस स्निग्ध रहें। जगत् के विदग्ध हृदयों को आपके शब्दों से ऐसा मरहम प्राप्त हो कि *वे अपने संताप भूल सकें और दो घड़ी अपने महत्त्व का अनुभव कर सकें।
🔶 मृदु व्यक्ति बड़ा मीठा हंसमुख स्वभाव रखता है सभ्यतापूर्ण ढंग से व्यवहार करता है और प्रेम सहानुभूति से स्निग्ध रहता है। जो व्यक्ति उसके संपर्क में आता है, उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।
🔷 मृदु व्यक्ति सदा दूसरों को प्रसन्न रखने और प्रेम करने की बात सोचता रहता है उसके मित्रों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है। वह उदार, दयावान, और प्रेममय रहता है। इन सद्गुणों के कारण मृदुल व्यक्ति सब स्थितियों और सब प्रकार के व्यक्तियों से बड़ा अच्छा निर्भाव कर लेता है।
🔶 यथा शक्ति दूसरों से प्रेम कीजिए। सहानुभूतिपूर्ण ढंग से अप्रिय कामों को कीजिए। जिससे भी मिलें आपके वाक्य, शब्द और अक्षर प्रेम से सरस स्निग्ध रहें। जगत् के विदग्ध हृदयों को आपके शब्दों से ऐसा मरहम प्राप्त हो कि *वे अपने संताप भूल सकें और दो घड़ी अपने महत्त्व का अनुभव कर सकें।