🔴 क्या आप चाहते है? आपको देवत्व के स्थान पर तीन चार सौ रुपये की नौकरी दिलवा दें। कोई देवता, सन्त या आशीर्वाद या कोई मन्त्र तो वह नाचीज हो सकती है। लेकिन अगर देवता देवत्व प्रदान करते हैं, तो वह नौकरी आपके लिए इतनी कीमत की करवा देंगे कि आप निहाल हो जाएँगे। विवेकानन्द रामकृष्ण परमहंस के पास नौकरी माँगने गए थे, पर मिला क्या, देवत्व, भक्ति, शक्ति और शान्ति। यह क्या चीज थे—गुण। मनुष्य के ऊपर कभी सन्त कृपा करते हैं। सन्तों ने कभी किसी को दिया है तो उन्होंने एक ही चीज दी है अन्तरंग में उमंग। एक ऐसी उमंग, जो आदमी को घसीटकर सिद्धान्तों की ओर ले जाती है।
🔵 जब आदमी के ऊपर सिद्धान्तों का नशा चढ़ता है, तब उसका मैग्नेट, उसका आकर्षण, उसकी वाणी, उसकी प्रामाणिकता इस कदर सही हो जाती है कि हर आदमी खिंचता हुआ चला आता है और हर कोई सहयोग करता है। विवेकानन्द को सम्मान और सहयोग दोनों मिला। यह किसने दी थी—काली ने। काली अगर किसी को कुछ देगी तो यही चीज देगी। अगर दुनिया में दुबारा कोई रामकृष्ण जिन्दा होंगे या पैदा होंगे, तो इसी प्रकार का आशीर्वाद देंगे, जिससे आदमी के व्यक्तित्व विकसित होते चले जाएँ। व्यक्तित्व अगर विकसित होगा तो जिसको आप चाहते हैं वह सहयोग बरसेगा। सहयोग माँगा नहीं जाता, बरसता है। आदमी फेंकता जाता है और सहयोग बरसता है। देवत्व जब आता है तब सहयोग बरसता है। बाबा साहब आम्टे का उदाहरण आपके सामने है, जिन्होंने कुष्ठ रोगियों के लिए, अपंगों के लिए अपना सर्वस्व लगा दिया। यह क्या है? सिद्धान्त है, आदर्श है और वरदान है। इससे कम में न किसी को वरदान मिला है और न इससे ज्यादा में किसी को मिलेगा। भीख माँगने से न किसी को मिला है और न भविष्य में मिलेगा।
🔴 देवता एक काम करते हैं। क्या कहते हैं? फूल बरसाते हैं। रामायण में कोई पचास जगह किस्से आते हैं, जब देवताओं ने फूल क्या बरसाते हैं, सहयोग बरसाते हैं। फूल किसे कहते हैं? सहयोग को कहते हैं। कौन बरसाता है? देवत्व जो इस दुनिया में अभी जिन्दा है। देवत्व ही दुनिया में जिन्दा था और जिन्दा ही रहने वाला है। देवत्व मरेगा नहीं। यदि हैवान या शैतान नहीं पर सका तो भगवान् क्यों मरेगा? इनसान, इनसान को देखकर आकर्षित होता है और भगवान, भगवान को देखकर आकर्षित होता है और श्रेष्ठता को देखकर सहयोग आकर्षित करता है। पहले भी यही होता रहा था, अभी भी होता है और आगे भी होता रहेगा।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🔵 जब आदमी के ऊपर सिद्धान्तों का नशा चढ़ता है, तब उसका मैग्नेट, उसका आकर्षण, उसकी वाणी, उसकी प्रामाणिकता इस कदर सही हो जाती है कि हर आदमी खिंचता हुआ चला आता है और हर कोई सहयोग करता है। विवेकानन्द को सम्मान और सहयोग दोनों मिला। यह किसने दी थी—काली ने। काली अगर किसी को कुछ देगी तो यही चीज देगी। अगर दुनिया में दुबारा कोई रामकृष्ण जिन्दा होंगे या पैदा होंगे, तो इसी प्रकार का आशीर्वाद देंगे, जिससे आदमी के व्यक्तित्व विकसित होते चले जाएँ। व्यक्तित्व अगर विकसित होगा तो जिसको आप चाहते हैं वह सहयोग बरसेगा। सहयोग माँगा नहीं जाता, बरसता है। आदमी फेंकता जाता है और सहयोग बरसता है। देवत्व जब आता है तब सहयोग बरसता है। बाबा साहब आम्टे का उदाहरण आपके सामने है, जिन्होंने कुष्ठ रोगियों के लिए, अपंगों के लिए अपना सर्वस्व लगा दिया। यह क्या है? सिद्धान्त है, आदर्श है और वरदान है। इससे कम में न किसी को वरदान मिला है और न इससे ज्यादा में किसी को मिलेगा। भीख माँगने से न किसी को मिला है और न भविष्य में मिलेगा।
🔴 देवता एक काम करते हैं। क्या कहते हैं? फूल बरसाते हैं। रामायण में कोई पचास जगह किस्से आते हैं, जब देवताओं ने फूल क्या बरसाते हैं, सहयोग बरसाते हैं। फूल किसे कहते हैं? सहयोग को कहते हैं। कौन बरसाता है? देवत्व जो इस दुनिया में अभी जिन्दा है। देवत्व ही दुनिया में जिन्दा था और जिन्दा ही रहने वाला है। देवत्व मरेगा नहीं। यदि हैवान या शैतान नहीं पर सका तो भगवान् क्यों मरेगा? इनसान, इनसान को देखकर आकर्षित होता है और भगवान, भगवान को देखकर आकर्षित होता है और श्रेष्ठता को देखकर सहयोग आकर्षित करता है। पहले भी यही होता रहा था, अभी भी होता है और आगे भी होता रहेगा।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य