बुधवार, 5 अक्टूबर 2016

👉 समाधि के सोपान Samadhi Ke Sopan (भाग 49)

🔵 जो ब्रह्मस्वरूप हो गया है सभी देवता उसका नमन करते हैं। अपने गुरु की पूजा के परिप्रेक्ष में सभी आध्यात्मिकता के दर्शन करो। इस प्रकार सभी एक हो जायेगा तथा सर्वोच्च अद्वैत चेतना की उपलब्धि होगी। क्योंकि विशाल से विशालतम परिप्रेक्ष में गुरु के दर्शन होंगे। यहाँ तक कि तुम्हारे ज्ञान तथा भक्ति के विस्तार के अनुसार भी गुरुदर्शन होंगे। व्यक्तित्व के चरम विकास के द्वारा सर्वोपरि अहंशून्यता का, स्वयं आत्मा का साक्षात्कार होता है। वहाँ गुरु, ईश्वर, और तुम तथा समस्त विश्व ब्रह्माण्ड एक हो जाते हैं। वही लक्ष्य है। -गुरुदेव को असीम के परिप्रेक्ष में देखो। वही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है। गुरुभक्ति के द्वारा तुम सर्वोच्च पथ पर गमन करते हो।

🔴 एक अर्थ में आध्यात्मिक महापुरुष इष्ट से भी अधिक सत्य हैं। तुम के द्वारा ही पिता को समझ सकते हो। ईश्वर की पूजा करने के पूर्व ईश्वरतुल्य मनुष्य की पूजा करो। मनुष्य की ब्रह्मानुभूति संपन्न चेतना के अतिरिक्त ईश्वर और कहाँ है? शिष्य के लिए गुरुपूजा ही सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि गुरु के व्यक्तित्व की पूजा के द्वारा तुम्हारा क्षुद्र व्यक्तित्वबोध भी तिरोहित हो जायेगा तथा आध्यात्मिक दृष्टि का क्षितिज विशाल से विशालतर होता जायेगा। पहले शारीरिक उपस्थिति आवश्यक हैं उसके पश्चात् आती है गुरु के व्यक्तित्व की पूजा! दूसरा सोपान है शारीरिक उपस्थिति तथा गुरुपूजा के भी परे जाना क्योंकि -गुरु बताते हैं कि शरीर आना नहीं है।

🌹 क्रमशः जारी
🌹 एफ. जे. अलेक्जेन्डर

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 4 Jan 2025

👉 शांतिकुंज हरिद्वार के Youtube Channel `Shantikunj Rishi Chintan` को आज ही Subscribe करें।  ➡️    https://bit.ly/2KISkiz   👉 शान्तिकुं...