पिता के प्रति पुत्र के तीन कर्त्तव्य हैं - 1-स्नेह, 2-सम्मान तथा आज्ञा पालन। जिस युवक ने पिता का, प्रत्येक बुजुर्ग का आदर करना सीखा है, वही आत्मिक शान्ति का अनुभव कर सकता है।
स्मरण रखिये, आप जो कुछ गुप्त रखते हैं, दूसरों के समक्ष कहते हुए शर्माते है, वह निंदय है। जब कोई युवक पिता के कानों में बात डालते हुए हिचके, तो उसे तुरन्त सम्भल जाना चाहिए क्योंकि बुरे मार्ग पर चलने का उपक्रम कर रहा है। उचित अनुचित जानने का उपाय यह है कि आप उसे परिवार के सामने प्रकट कर सकें। जब किसी पदार्थ का रासायनिक विश्लेषण हो जाता है, तब सभी उसके शुभ अशुभ अंशों को जान जाते हैं। परिवार में यह विश्लेषण तब होता है, तब युवक का कार्य परिवार के सदस्यों के सम्मुख आता है।
परिवार से युवक का मन तोड़ने में विशेष हाथ पत्नी का होता है। उसे अपने स्व का बलिदान कर संपूर्ण परिवार की उन्नति का ध्यान रखना चाहिए। समझदार गृहणी समस्त परिवार को सम्भाल लेती है।
आज के युवक प्रेम-विवाह से प्रभावित हैं। जिसे प्रेम-विवाह कहा जाता है, वह क्षणिक वासना का ताँडव, थोथी समझ की मूर्खता, अदूरदर्शिता है। जिसे ये लोग प्रेम समझते हैं, वह वासना के अलावा और कुछ नहीं होता। उसका उफान शान्त होते ही प्रेम-विवाह टूक टूक हो जाता है। चुनावों में भारी भूलें मालूम होती है। समाज में प्रतिष्ठा का नाश हो जाता है। ऐसा व्यक्ति सन्देह की दृष्टि से देखा जाता है।
अनेक पुत्र विचारों में विभिन्नता होने के कारण झगड़ों का कारण बनते हैं। संभव है युवक पिता से अधिक शिक्षक हो। किन्तु पिता का अनुभव अपेक्षाकृत अधिक होता है। पुत्र को उदारतापूर्वक अपने विचार अपने पास रखने चाहिए और व्यर्थ के संपर्क से बचना चाहिए।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जनवरी 1951 पृष्ठ 25
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1951/January/v1.25
स्मरण रखिये, आप जो कुछ गुप्त रखते हैं, दूसरों के समक्ष कहते हुए शर्माते है, वह निंदय है। जब कोई युवक पिता के कानों में बात डालते हुए हिचके, तो उसे तुरन्त सम्भल जाना चाहिए क्योंकि बुरे मार्ग पर चलने का उपक्रम कर रहा है। उचित अनुचित जानने का उपाय यह है कि आप उसे परिवार के सामने प्रकट कर सकें। जब किसी पदार्थ का रासायनिक विश्लेषण हो जाता है, तब सभी उसके शुभ अशुभ अंशों को जान जाते हैं। परिवार में यह विश्लेषण तब होता है, तब युवक का कार्य परिवार के सदस्यों के सम्मुख आता है।
परिवार से युवक का मन तोड़ने में विशेष हाथ पत्नी का होता है। उसे अपने स्व का बलिदान कर संपूर्ण परिवार की उन्नति का ध्यान रखना चाहिए। समझदार गृहणी समस्त परिवार को सम्भाल लेती है।
आज के युवक प्रेम-विवाह से प्रभावित हैं। जिसे प्रेम-विवाह कहा जाता है, वह क्षणिक वासना का ताँडव, थोथी समझ की मूर्खता, अदूरदर्शिता है। जिसे ये लोग प्रेम समझते हैं, वह वासना के अलावा और कुछ नहीं होता। उसका उफान शान्त होते ही प्रेम-विवाह टूक टूक हो जाता है। चुनावों में भारी भूलें मालूम होती है। समाज में प्रतिष्ठा का नाश हो जाता है। ऐसा व्यक्ति सन्देह की दृष्टि से देखा जाता है।
अनेक पुत्र विचारों में विभिन्नता होने के कारण झगड़ों का कारण बनते हैं। संभव है युवक पिता से अधिक शिक्षक हो। किन्तु पिता का अनुभव अपेक्षाकृत अधिक होता है। पुत्र को उदारतापूर्वक अपने विचार अपने पास रखने चाहिए और व्यर्थ के संपर्क से बचना चाहिए।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जनवरी 1951 पृष्ठ 25
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1951/January/v1.25