🔶 अपने प्रति उच्च भावना रखिए। छोटे से छोटे काम को भी महान् भावना से करिये। बड़ी से बड़ी विपत्ति में भी निराश न होइए। आत्म विश्वास एवं आशा का प्रकाश लेकर आगे बढ़िये। जीवन के प्रति अखण्ड निष्ठा रखिए और देखिए कि आप एक स्वस्थ, सुंदर, सफल एवं दीर्घजीवन के अधिकारी बनते हैं या नहीं?
🔷 बहुत से लोग आराम के विचार से आरामशी चीजों की आवश्यकता पैदा कर लेते हैं। वे अधिक से अधिक आराम पाने के लिए नित्य नई चीजें खरीदते रहते हैं। वस्तुतः शरीर को बहुत अधिक सुविधाओं के बीच रखने से कर्मठता कम होती है, आलस्य एवं विलासिता की वृद्धि होती है। जमकर काम करने के लिए मिले हुए शरीर को पलंग पालने का अभ्यस्त बना देने वाले अकर्मण्य हो जाते हैं, शीघ्र ही उनकी शक्तियाँ कुंठित हो जाती हैं और वृत्तियाँ परावलम्बी बन जाती हैं।
🔶 मानवता का यही तकाजा है कि हम किसी से ईर्ष्या न करते हुए स्वयं अपना विकास करने का प्रयत्न करें और यथासाध्य दूसरों की उन्नति में सहायक बनकर अपने लिए भी सहायता, सहयोग तथा सहानुभूति सुरक्षित कर लें। इस प्रकार ही हम ईर्ष्या की आग से बचकर सबके साथ सुख एवं शान्ति का जीवन बिता सकेंगे।
🔷 बहुत से लोग आराम के विचार से आरामशी चीजों की आवश्यकता पैदा कर लेते हैं। वे अधिक से अधिक आराम पाने के लिए नित्य नई चीजें खरीदते रहते हैं। वस्तुतः शरीर को बहुत अधिक सुविधाओं के बीच रखने से कर्मठता कम होती है, आलस्य एवं विलासिता की वृद्धि होती है। जमकर काम करने के लिए मिले हुए शरीर को पलंग पालने का अभ्यस्त बना देने वाले अकर्मण्य हो जाते हैं, शीघ्र ही उनकी शक्तियाँ कुंठित हो जाती हैं और वृत्तियाँ परावलम्बी बन जाती हैं।
🔶 मानवता का यही तकाजा है कि हम किसी से ईर्ष्या न करते हुए स्वयं अपना विकास करने का प्रयत्न करें और यथासाध्य दूसरों की उन्नति में सहायक बनकर अपने लिए भी सहायता, सहयोग तथा सहानुभूति सुरक्षित कर लें। इस प्रकार ही हम ईर्ष्या की आग से बचकर सबके साथ सुख एवं शान्ति का जीवन बिता सकेंगे।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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