निकाल लाया हूँ एक
पिंजरे से मैं एक परिंदा
परिंदे के तनहा दिल से
पिंजरा निकालना बाकी है
पिंजरे से मैं एक परिंदा
परिंदे के तनहा दिल से
पिंजरा निकालना बाकी है
परिंदे तेरा एक घरोंदा
जिसमें बसता तेरा दिल
हाड़ माँस के पुतले से
तुझको निकालना बाकी है
जिसमें बसता तेरा दिल
हाड़ माँस के पुतले से
तुझको निकालना बाकी है
नाहक पाले रिश्ते नाते
झूठे है यह विष के प्याले
सांसों की इस सरगम से
आठवाँ सुर निकालना बाकी है
झूठे है यह विष के प्याले
सांसों की इस सरगम से
आठवाँ सुर निकालना बाकी है
रे ! पंछी यह है रैन बसेरा
क्यों समेटा मिटटी का ढेरा
पत्थरों की इस जमघट में
रूह को निकालना बाकी है
क्यों समेटा मिटटी का ढेरा
पत्थरों की इस जमघट में
रूह को निकालना बाकी है
अब तो सुध ले ले अपनी
आयेगी सिर्फ तेरी करनी
शख्सियत की नुमाइएश में
अहम् को निकालना बाकी है
आयेगी सिर्फ तेरी करनी
शख्सियत की नुमाइएश में
अहम् को निकालना बाकी है
छोड़ दे ओ ! नादाँ परिन्दे
इंसानों के ये मोह के पिंजरे
उम्मीदों की पैमाइएश में
यादों को निकालना बाकी है
विचार क्रांति अभियान शांतिकुंज हरिद्वार
इंसानों के ये मोह के पिंजरे
उम्मीदों की पैमाइएश में
यादों को निकालना बाकी है
विचार क्रांति अभियान शांतिकुंज हरिद्वार