ऐसी ही एक घटना यहाँ शब्दों में पिरोयी जा रही है। वर्षों पूर्व घटी इस घटना में एक बच्चे के माता- पिता, परम पूज्य गुरुदेव के पास आए। उनके साथ उनका बच्चा भी था। जो कुछ समय से ज्वर से ग्रसित था। यह ज्वर था कि किसी चिकित्सक की औषधि से ठीक ही नहीं हो रहा था। हां, इसके दुष्प्रभाव हाथ, पांव सहित समूचे शरीर पर पड़ने शुरू हो गए थे। एक तरीके से उसका शरीर लुंज- पुंज हो गया था। बच्चे की दिमागी हालत भी बिगड़ने लगी थी। समूचा स्नायु संस्थान निष्क्रिय पड़ता जा रहा था। माता- पिता ने अपने बच्चे की सारी व्यथा गुरुदेव को कह सुनायी। उन्होंने सारी बातें ध्यान से सुनी और मौन हो गए।
बच्चे के माता- पिता बड़ी आशा भरी नजरों से उनकी ओर देख रहे थे। पर यहाँ गुरुदेव की आँखें छलक उठी थीं। वह उस बच्चे की पीड़ा से, माता- पिता के सन्ताप से विह्वल हो गए थे। थोड़ी देर बाद वह भाव भरे मन से उन लोगों से बोले, बेटा- तुम लोगों ने हमारे पास आने में देर कर दी। इसके प्रारब्ध का दुर्योग अब एकदम पक गया है। ऐसी स्थिति में कुछ भी करना सम्भव नहीं। वैसे भी यह बच्चा है, यदि हम इस पर अपनी विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रयोग करेंगे तो इसका शरीर सह नहीं पाएगा। बहुत सम्भव है कि यह मर ही जाए।
गुरुदेव की इन बातों ने माता- पिता को निस्पन्द कर दिया। वे निराशा से विगलित हो गए। उन्हें इस तरह पीड़ित देखकर गुरुदेव बोले, तुम लोग मेरे पास आए हो, तो इस असम्भव स्थिति में थोड़ा- बहुत तो मैं करूँगा ही। इसमें पहली चीज तो यह कि बच्चे का दिमाग एकदम ठीक हो जाएगा। अपाहिज स्थिति में भी यह प्रतिभावान होगा। अभी जो यह लगभग गूँगा हो गया है, आपसे बातचीत कर सकेगा। शारीरिक अपंगता की यह स्थिति होने के बावजूद इसमें कई तरह के कौशल विकसित होंगे। बस बेटा! इस स्थिति में इसके लिए इससे ज्यादा कुछ भी सम्भव नहीं। गुरुदेव के इन शब्दों ने बच्चे के माता- पिता को जैसे वरदान दे दिया। थोड़े ही महीने के बाद पूज्य गुरुदेव की आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रभाव उस बच्चे के जीवन में प्रकट हुए। अपाहिज होते हुए भी वह प्रतिभावान कलाकार बना। उसके प्रारब्ध का अटल दुर्योग टला तो नहीं पर पूज्य गुरुदेव की आध्यात्मिक चिकित्सा ने उसे रूपान्तरित तो कर ही दिया। इस आश्चर्यजनक प्रक्रिया के संकेत आज भी महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रन्थों में देखे जा सकते हैं।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 डॉ. प्रणव पण्ड्या
📖 आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति पृष्ठ 40
बच्चे के माता- पिता बड़ी आशा भरी नजरों से उनकी ओर देख रहे थे। पर यहाँ गुरुदेव की आँखें छलक उठी थीं। वह उस बच्चे की पीड़ा से, माता- पिता के सन्ताप से विह्वल हो गए थे। थोड़ी देर बाद वह भाव भरे मन से उन लोगों से बोले, बेटा- तुम लोगों ने हमारे पास आने में देर कर दी। इसके प्रारब्ध का दुर्योग अब एकदम पक गया है। ऐसी स्थिति में कुछ भी करना सम्भव नहीं। वैसे भी यह बच्चा है, यदि हम इस पर अपनी विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रयोग करेंगे तो इसका शरीर सह नहीं पाएगा। बहुत सम्भव है कि यह मर ही जाए।
गुरुदेव की इन बातों ने माता- पिता को निस्पन्द कर दिया। वे निराशा से विगलित हो गए। उन्हें इस तरह पीड़ित देखकर गुरुदेव बोले, तुम लोग मेरे पास आए हो, तो इस असम्भव स्थिति में थोड़ा- बहुत तो मैं करूँगा ही। इसमें पहली चीज तो यह कि बच्चे का दिमाग एकदम ठीक हो जाएगा। अपाहिज स्थिति में भी यह प्रतिभावान होगा। अभी जो यह लगभग गूँगा हो गया है, आपसे बातचीत कर सकेगा। शारीरिक अपंगता की यह स्थिति होने के बावजूद इसमें कई तरह के कौशल विकसित होंगे। बस बेटा! इस स्थिति में इसके लिए इससे ज्यादा कुछ भी सम्भव नहीं। गुरुदेव के इन शब्दों ने बच्चे के माता- पिता को जैसे वरदान दे दिया। थोड़े ही महीने के बाद पूज्य गुरुदेव की आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रभाव उस बच्चे के जीवन में प्रकट हुए। अपाहिज होते हुए भी वह प्रतिभावान कलाकार बना। उसके प्रारब्ध का अटल दुर्योग टला तो नहीं पर पूज्य गुरुदेव की आध्यात्मिक चिकित्सा ने उसे रूपान्तरित तो कर ही दिया। इस आश्चर्यजनक प्रक्रिया के संकेत आज भी महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रन्थों में देखे जा सकते हैं।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 डॉ. प्रणव पण्ड्या
📖 आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति पृष्ठ 40