🔴 जो सुनना जानते हैं, उन्हें तो शान्तिकुञ्ज की धरती से साधना का संगीत उभरता नजर आता है। जहाँ गुरुदेव और वन्दनीया माता जी जैसे महायोगी रहे, चले और यहीं धूल में उन्होंने अपनी देह विलीन कर दी, वह धरती साधारण कैसे हो सकती है? बस जरूरत सुनने वालों की है। अगर ये हो तो फिर हवाओं में भी उन्हें महर्षियों के स्वर गुंजते सुनायी देंगे। ध्वनि हवाओं से ही तो बहती है और किसी भी हाल में यह मरती मिटती नहीं। यदि हमने अपनी श्रवण शक्ति को सूक्ष्म कर लिया है तो युगों पूर्व के स्वरों को भी सुना जा सकता है। इतना ही नहीं हवाओं की मरमर में दैवी वाणी भी सुनायी पड़ सकती है।
🔵 रही बात जल की तो इसकी महिमा तो धरती और वायु से भी ज्यादा है। जल की ग्रहणशीलता अति सूक्ष्म है। आध्यात्मि शक्ति के लिए, जल से बड़ा सुचालक और कोई नहीं। यही वजह है मंत्र से अभिमंत्रित जल चमत्कारी औषधि का काम करता है। यही कारण है कि प्राचीन महर्षियों ने नदियों के किनारे अपने आश्रम बनाये थे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उनकी तप शक्ति नदियों के जल में चिरकाल तक संरक्षित रह सके। और युगों- युगों तक लोग उसमें स्नान करके धन्यभागी हो सके। तीर्थ जल आज भी साधक से संवाद करते हैं। गंगा- यमुना की सूक्ष्म चेतना का अस्तित्त्व अभी है। हां उनकी स्थूल कलेवर को इन्सान ने आज अवश्य बरबाद कर दिया है।
🔴 यदि अभी किसी में इतनी पात्रता नहीं है, तो उसको पवित्र पुरुषों के पास जाकर सत्य को सीखना चाहिए। पवित्र पुरुष सभी बन्धनों से मुक्त होते हैं। उनकी स्थूल देह केवल छाया भर होती है। इसलिए पूछने वालों को उनके दैहिक व्यापारों एवं व्यवहारों पर नजर नहीं रखनी चाहिए। अन्यथा अनेकों तरह के भ्रम व सन्देह की गुंजाइश बनी रहती है। जो इन पवित्र पुरुषों को देह के पार देख सकता है, उनकी परा चेतना की अनुभूति कर सकता है, वही उनसे संवाद कर सकता है। अगर ऐसा नहीं है तो उसे संसार भर के पवित्र पुरुष उसे अपनी ही भांति साधारण रोगी या वासनाओं से भरे नजर आएँगे। यही वजह है कि इनसे संवाद की पहली शर्त है कि हम स्वयं वासना मुक्त हों। वासना मुक्त होने पर इस संवाद के स्वर हमसे क्या कहेंगे- आइये इसे अगले सूत्र में जानें।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 डॉ. प्रणव पण्डया
http://hindi.awgp.org/gayatri/AWGP_Offers/Literature_Life_Transforming/Books_Articles/Devo/savad
Boya Kata - Pt Shriram Sharma Acharya- Lecture 1984
👇👇👇👇👇👇👇
http://video.awgp.org/video.php?id=86
youtube Link
https://youtu.be/gO4Q3x0MJps?list=PLq_F_-1s7IHAHeQ9VdM9av6qRSdXM5UoL
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🔴 यदि अभी किसी में इतनी पात्रता नहीं है, तो उसको पवित्र पुरुषों के पास जाकर सत्य को सीखना चाहिए। पवित्र पुरुष सभी बन्धनों से मुक्त होते हैं। उनकी स्थूल देह केवल छाया भर होती है। इसलिए पूछने वालों को उनके दैहिक व्यापारों एवं व्यवहारों पर नजर नहीं रखनी चाहिए। अन्यथा अनेकों तरह के भ्रम व सन्देह की गुंजाइश बनी रहती है। जो इन पवित्र पुरुषों को देह के पार देख सकता है, उनकी परा चेतना की अनुभूति कर सकता है, वही उनसे संवाद कर सकता है। अगर ऐसा नहीं है तो उसे संसार भर के पवित्र पुरुष उसे अपनी ही भांति साधारण रोगी या वासनाओं से भरे नजर आएँगे। यही वजह है कि इनसे संवाद की पहली शर्त है कि हम स्वयं वासना मुक्त हों। वासना मुक्त होने पर इस संवाद के स्वर हमसे क्या कहेंगे- आइये इसे अगले सूत्र में जानें।
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