🌹 युग-निर्माण योजना का शत-सूत्री कार्यक्रम
🔵 9. खुली वायु में रहिये —रात को जल्दी सोने और प्रातः जल्दी उठने की आदत डाली जाय। इससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और सवेरे के समय का जिस कार्य में भी उपयोग किया जाय उसी में सफलता मिलती हैं। प्रातः टहलने, व्यायाम एवं मालिश करने के उपरांत रगड़-रगड़ कर नहाने का अभ्यास प्रत्येक स्वास्थ्य के इच्छुक को करना चाहिये। सवेरे खुली हवा में टहलने वाले और व्यायाम करने वालों का स्वास्थ्य कभी खराब नहीं होने पाता। जो स्त्रियां टहलने नहीं जा सकती उन्हें चक्की पीसनी चाहिए या ऐसा ही कोई पसीना निकलने वाला कड़ा काम करना चाहिये।
🔴 10. ब्रह्मचर्य का पालन —ब्रह्मचर्य का समुचित ध्यान रखा जाय। विवाहितों और अविवाहितों को मर्यादाओं का समुचित पालन करना चाहिये। इस सम्बन्ध में जितनी कठोरता बरती जायगी स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहेगा। बुद्धिजीवियों और छात्रों के लिये तो यह और भी अधिक आवश्यक है क्योंकि इन्द्रिय असंयम से मानसिक दुर्बलता आती है और उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में भारी अड़चन पड़ती है।
🔵 यह दस साधारण नियम हैं जिनका व्यक्तिगत जीवन में प्रयोग करने के लिये हममें से हर एक को अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुसार अधिकाधिक प्रयत्न करना चाहिये। परिवार के लोगों को इन स्वास्थ्य मर्यादाओं को पालन करने के लिये प्रशिक्षित करना चाहिये। जो लोग अपने सम्पर्क में आयें उन्हें भी इस अमृत औषधियों का अवलम्बन करने के लिये प्रेरणा देनी चाहिये।
🔴 बदले हुये दृष्टिकोण को अपनाने से स्वास्थ्य की समस्या हल हो सकती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य की समस्या का हल इन्हीं तथ्यों को अपनाने से होगा। इसलिये धर्म कर्तव्यों की तरह ही इन आरोग्य मर्यादाओं का हमें पालन करना चाहिये और धर्म प्रचार की भावना से ही इन तथ्यों को अपनाने के लिये दूसरों को प्रेरित करना चाहिये।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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🔵 9. खुली वायु में रहिये —रात को जल्दी सोने और प्रातः जल्दी उठने की आदत डाली जाय। इससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और सवेरे के समय का जिस कार्य में भी उपयोग किया जाय उसी में सफलता मिलती हैं। प्रातः टहलने, व्यायाम एवं मालिश करने के उपरांत रगड़-रगड़ कर नहाने का अभ्यास प्रत्येक स्वास्थ्य के इच्छुक को करना चाहिये। सवेरे खुली हवा में टहलने वाले और व्यायाम करने वालों का स्वास्थ्य कभी खराब नहीं होने पाता। जो स्त्रियां टहलने नहीं जा सकती उन्हें चक्की पीसनी चाहिए या ऐसा ही कोई पसीना निकलने वाला कड़ा काम करना चाहिये।
🔴 10. ब्रह्मचर्य का पालन —ब्रह्मचर्य का समुचित ध्यान रखा जाय। विवाहितों और अविवाहितों को मर्यादाओं का समुचित पालन करना चाहिये। इस सम्बन्ध में जितनी कठोरता बरती जायगी स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहेगा। बुद्धिजीवियों और छात्रों के लिये तो यह और भी अधिक आवश्यक है क्योंकि इन्द्रिय असंयम से मानसिक दुर्बलता आती है और उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में भारी अड़चन पड़ती है।
🔵 यह दस साधारण नियम हैं जिनका व्यक्तिगत जीवन में प्रयोग करने के लिये हममें से हर एक को अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुसार अधिकाधिक प्रयत्न करना चाहिये। परिवार के लोगों को इन स्वास्थ्य मर्यादाओं को पालन करने के लिये प्रशिक्षित करना चाहिये। जो लोग अपने सम्पर्क में आयें उन्हें भी इस अमृत औषधियों का अवलम्बन करने के लिये प्रेरणा देनी चाहिये।
🔴 बदले हुये दृष्टिकोण को अपनाने से स्वास्थ्य की समस्या हल हो सकती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य की समस्या का हल इन्हीं तथ्यों को अपनाने से होगा। इसलिये धर्म कर्तव्यों की तरह ही इन आरोग्य मर्यादाओं का हमें पालन करना चाहिये और धर्म प्रचार की भावना से ही इन तथ्यों को अपनाने के लिये दूसरों को प्रेरित करना चाहिये।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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