सोमवार, 8 जुलाई 2019

👉 आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति (भाग 24)

👉 पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का परिमार्जन जरूरी

इस युग के महानतम् आध्यात्मिक चिकित्सक ब्रह्मर्षि परम पूज्य गुरुदेव इस प्रक्रिया में सिद्धहस्त थे। उन्होंने असंख्य जनों के पूर्वजन्म को जानकर उनके जीवन को पीड़ा, परेशानी से मुक्त किया। ऐसी ही एक घटना- शिव नारायण कुलकर्णी के जीवन की है। उन दिनों श्री कुलकर्णी की युवावस्था थी। और अभी हाल में ही उन्होंने एम.एस- सी. (भौतिक विज्ञान) में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया था। उनके स्वजन उन्हें शोध अध्ययन के लिए अमेरिका भेजना चाहते थे। पासपोर्ट, वीज़ा आदि की सारी तैयारियाँ हो चुकी थी। खर्च का भी इन्तजाम हो गया था। लेकिन तभी उन्हें पागलपन का दौरा पड़ा। स्वजनों ने मेडिकल कॉलेज के साइकिएट्री विभाग में उनका इलाज कराया। पर स्थिति सुधरी नहीं। चिकित्सक एवं चिकित्सालय बदलते गए और स्थिति बिगड़ती गयी।

हारे को हरिनाम, मुसीबत पड़े तो श्रीराम। कहीं से ढूँढ खोजकर वे गुरुदेव के पास आ गए। गुरुदेव ने उनको बड़े ध्यान से देखा और उनकी आँखें छलक आयी। युवक श्री शिवनारायण कुलकर्णी के माता- पिता ने जानना चाहा, कि उनके इस लड़के का क्या होगा। घर- परिवार में सबसे होनहार बालक इतने बुरे पागलपन के चपेट में आ गया है। उन चिन्तित माता- पिता की ओर देखते हुए गुरुदेव बोले- बेटा तुम्हारे पुत्र की समस्या गम्भीर है और इसका ठीक होना लगभग असम्भव है। ऐसा करो कि तुम लोग अभी शान्तिकुञ्ज में ठहरो। और मेरे पास कल आना। तब कुछ समाधान सोचेंगे।

बड़ी से बड़ी आपदाओं को चुटकियों में हलकर देने वाले गुरुदेव ऐसा क्यों कह रहे हैं? यह राज पास बैठे हुए कार्यकर्त्ता को समझ में न आया। उसने जिज्ञासावश पूछा, गुरुदेव इस युवक के जीवन में कोई गम्भीर बात है क्या? इस प्रश्र पर पहले तो गुरुदेव मौन रहे फिर बोले- बेटा! इसने पूर्वजन्म में बहुत ही बड़ा अपराध किया है, उसी का फल इस रूप में प्रकट हो रहा है। इसे कोई भी ठीक नहीं कर सकता। तब क्या होगा? देखेंगे, कहकर वह मौन साध गए।

दूसरे दिन दोपहर में वह युवक और उसके माता- पिता फिर से आए। यह कार्यकर्त्ता भी काम से पूज्यवर के पास पहुँचा था। गुरुदेव ने उसके माता- पिता को सम्बोधित करते हुए कहा, हम तुम्हें निराश नहीं करना चाहते। इस लड़के की आयु भी अभी कम है। हम इसे ठीक तो कर देंगे, पर इसमें समय लगेगा। स्थिति कठिन तो जरूर है, पर हम स्वयं इसके द्वारा पूर्वजन्म के किए गए महापाप का प्रायश्चित्त करेंगे। साथ ही अपनी आध्यात्मिक शक्ति से इसके मन- मस्तिष्क की शल्यचिकित्सा करेंगे। यह प्रक्रिया कई चरणों में चलेगी। और इसमें लगभग दो- ढाई साल लगेंगे।

गुरुदेव की इन बातों ने युवक के माता- पिता को आश्वस्त कर दिया। बीच- बीच में वे गुरुदेव से मिलने शान्तिकुञ्ज आते रहे। उस युवक में समय के साथ परिवर्तन प्रारम्भ हो गए। और समय के साथ वह ठीक भी हो गया। पूज्यवर की आध्यात्मिक चिकित्सा के विज्ञान को उस युवक के साथ उसके माता- पिता ने भी अनुभव किया। साथ ही यह भी जान सके कि पूर्वजन्म में हुए दुष्कर्म और उससे उपजे रोग- शोक का परिमार्जन आध्यात्मिक ढंग से ही सम्भव है। इसी विधि से प्रारब्ध के सुयोग- दुर्योग बदले जा सकते हैं।

.... क्रमशः जारी
✍🏻 डॉ. प्रणव पण्ड्या
📖 आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति

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