हे ममतामयी नारियां!!
देखी आपकी कई कुर्बानियां.....
न मांगी तुमनें कभी अपने किये की,
उपहार या कोई झाकियां.....
पर करते गयी कुर्बानियां.....
जन्म जब हुआ बेटी बन आयी,
माता पिता के सम्मान के लिए.....
भाइयों के मान के लिए......
जीती रही....तुम जीती रही!!!!
जतन सारी करती रही......
बात- बात पर टोका गया.....
जगह -जगह हर काम पर रोका गया......
ये मत कर!वंहा मत जा.....
क्यो मां?? आखिर तू एक लड़की हैं.........
जब तक हैं... इस घर में मेहमान है....
तेरे पति का घर ही तेरा संसार है ......
न माँ.... न भेज मुझे अनजान जगह......
जो बोलेगी कर दूंगी......
किसी बात पे एक शब्द न कहूंगी,
रहने दे मुझे.... मेरे ही अंगना......
बाबा...न भेज मुझे दुंजे अंगना....
बेटा !!यही तो बेटी का भाग्य होता हैं.......
खुश रहना तू... अपने पति के अंगना......
जा......मेरी लाडली जा......
आगयी वह दूजे घर अंगना.....
मान बैठी उसे भाग्य अपना....
मैं आज तुम्हे वचन देती हूं......
तुम्हारे हर चीज को अपने से भी बढ़ कर समझूँगी.......
अपने घर का हर काम करूँगी.....
हे मेरे देव!!तुम्हारी सेवा कर......
तुम्हे संतति दूंगी.......
आपकी हर इच्छा पूरी करूँगी.....
आपके माता पिता को अपना मानूँगी......
उनकी हमेशा सेवा करूँगी......
पर फिर भी बात बात पर प्रताड़ित हुई......
जिसे ईश्वर समझ सब अर्पण किया.....
उसने ही न मुझे एक पल को समझा......
ये कर दिया.....उस काम को कर लिया .....खाना समय पर बना देना......
माँ को दवा दे देना......सब किया.....
न कोई मांग की......
बस मेरे परमेश्वर!! तुम्हारे प्रेम भरे शब्दों की ही मोहताज़ रही......
पर तब भी आपने न मेरी ओर देखा......
न मेरे भावों को समझा.....
जो जीवन में कभी न काम की.....
वो आपके घर रोसोइ को ही अपना सौभाग्य समझी.......
इतना पढ़ लिख इतनी डिग्री बनाई......
वह नारी समर्पण कर.....
घर के कामों की नौकरी में लग गयी.......
यह दूसरा युग भी बिता.....
अब वह एक माँ बन गयी......
जन्म दे अपने शिशु को वह पागलों सी झूमी......
उसे अपने खून से सींचा......
खुद भूखी रही पर उसे देखा.....हर बात का ध्यान वह रखी......
सारा प्रेम और वात्सल्य उस पर उड़ेल दी.......
पर सौगात क्या मिला.......
तुमने मेरे लिए क्या किया,
हर बार सुनना पड़ा........
अंत में बच्चों ने किए का सौगात दिया.......
वृद्धा आश्रम में रह माँ,
तुझे देखने का मेरे पास वक़्त कँहा........
सभी शक्ति स्वरूपा देवी स्वरूप नारियों को हृदय से नमन वंदन.....
कृपया हर बहन,माँ, बेटी,बहु का सम्मान करें........
ऐसी त्यागनियों को प्रोत्साहित करें🙏🏻🙏🏻
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