शनिवार, 24 जून 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 24 June 2023

🔷 लोभ तो सत्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। जिसे लोभ के पिशाच ने पकड़ लिया, उससे सत्य की रक्षा हो ही नहीं सकती। लोभ सदैव ही अपने अधिकार से अधिक पाने की लिप्सा किया करता है। अधिकार से अधिक पाने के लिए छल, कपट और असत्य आदि दुष्कर्मों को ग्रहण करना पड़ता है।

🔶यदि आपको अपनी रुचियों और प्रवृत्तियों में कुरूपता, कुत्सा और कलुष उन्मुखता का आभास मिले तो समझ लेना चाहिए कि आपकी आत्मा सोई हुई है और साथ ही यह भी मान लेना चाहिए कि यह एक बड़ा दुर्भाग्य है-एक प्रचंड हानि है। इतना ही क्यों, वरन् तुरन्त उसे दूर करने के लिए तत्पर हो जाना चाहिए। यदि आप प्रमादवश जिस स्थिति में हैं, उसमें ही पड़े रहना चाहेंगे तो निश्चय ही अपनी ऐसी क्षति करेंगे, जो युग-युग तक, जन्म-जन्मांतरों तक पूरी नही हो सकती।

🔷 जो लोग यह सोचते हैं कि अपनी उन्नति करना एक स्वार्थ मात्र है, वे भारी भ्रम में हैं। अपना उद्धार करना संसार का उद्धार करने का प्रथम चरण है। जो अपना उपकार आप नहीं कर सकता, वह संसार अथवा किसी दूसरे का उपकार क्या कर सकता है? जो स्वयं अच्छा है, वही दूसरों को अच्छा बना सकता है, जो स्वयं उदार और निर्लोभ है, वह ही किसी दूसरे को इसकी शिक्षा दे सकने का अधिकारी है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

All World Gayatri Pariwar Official  Social Media Platform

Shantikunj WhatsApp
8439014110

Official Facebook Page

Official Twitter

Official Instagram

Youtube Channel Rishi Chintan

Youtube Channel Shantikunjvideo

उन्नति के पथ पर (भाग 1)

प्रत्येक पुरुष में उन्नति की भावना हमेशा विद्यमान रहती है। उसके हृदय में अपने आप को दूसरों से अलग अनुभव करने की एक हूक सी उठती है। वह चाहता है कि मनुष्य मेरा आदर करें और मेरा नाम उन्नति शील पुरुषों की तरह प्रसिद्ध हो जाये। मनुष्य प्रायः प्रत्येक कार्य इसी उद्देश्य को लेकर करता है।

यह उन्नति की भावना एक ऐसी जल धारा है जिसका प्रवाह कभी बंद नहीं होता परन्तु प्रवाह की दिशा बदल सकती है। जब मनुष्य एक तरफ उन्नति नहीं कर पाता तो दूसरी ओर पिल पड़ता है। विद्यार्थी जब पढ़ाई में सबसे आगे नहीं हो सकता तो वह खेलों में प्रसिद्ध होना चाहता है। यदि वहाँ भी सफलता प्राप्त न हो तो वह मजाक, बदमाशी, अधिक बोलना, या कम बोलना-इनमें ही वह साथियों से कहलवा लेना चाहता है कि वह ऐसा ही है। एक प्रकार वह उन्नति अवश्य करता है परन्तु यह नहीं कह सकते कि उसकी उन्नति से जगत् की कितनी उन्नति हुई है।

जब मनुष्य उन्नति करता है या करना चाहता है, तो सबसे पहली कमी जो पथारुढ़ होने से उसे रोकती है वह है आत्म विश्वास की कमी। जब मनुष्य कार्य क्षेत्र में प्रवेश करता है तो दूसरे उन्नत पुरुषों को देखकर उसकी हिम्मत पस्त हो जाती है। “मैं कहाँ, ये कहाँ। जमीन आसमान का अन्तर हैं इनके आगे मेरी कैसे पेश चलेगी।” आदि क्षुद्र विचार उसके नवपल्लवित शुभ विचारों पर आक्रमण कर देते हैं।

.... क्रमशः जारी
📖 अखण्ड ज्योति 1948  नवम्बर पृष्ठ 23


All World Gayatri Pariwar Official  Social Media Platform

Shantikunj WhatsApp
8439014110

Official Facebook Page

Official Twitter

Official Instagram

Youtube Channel Rishi Chintan

Youtube Channel Shantikunjvideo

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024

All World Gayatri Pariwar Official  Social Media Platform > 👉 शांतिकुंज हरिद्वार के प्रेरणादायक वीडियो देखने के लिए Youtube Channel `S...