रविवार, 1 अक्तूबर 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 1 Oct 2023

हम युगान्तर प्रस्तुत करने वाली चेतना का ज्ञान गंगा का अवतरण करने के लिए भागीरथ प्रयत्न कर रहे हैं। हमारा ज्ञानयज्ञ सतयुग की कामना को साकार करने वाले नवयुग को धरती पर उतारने के लिए है। हम मनुष्य में देवत्व का उदय देखना चाहते हैं और इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए समुद्र को पाटकर अपने अण्डे पुनः प्राप्त करने के लिए चोंच में बालू भर डालने में निरत टिटहरी की तरह उत्कट संकल्प लेकर जुटे हैं। इन प्रयत्नों का केन्द्र छोटा-सा आश्रम शांतिकुंज गायत्री तीर्थ है।

शांतिकुंज परिसर में हम अपना सूक्ष्म षरीर और अद्रश्य अस्तित्व बनाये रहेंगे। यहाँ आने वाले और रहने वाले अनुभव करेंगे कि उनसे अद्रश्य किन्तु समर्थ प्राण-प्रत्यावर्तन और मिलन, आदान-प्रदान भी हो रहा है। इस प्रक्रिया का लाभ अनवरत रूप से जारी रहेगा। हमारा प्राण अनुदान निरन्तर इस तपःस्थली में वितरित होता रहेगा। आवश्यकता मात्र स्वयं को यहाँ गायत्री तीर्थ से जोड़े रखने की है।              
                                                   
नालन्दा विश्वविद्यालय के तरीके से हमने शांतिकुंज में नेता बनाने का एक विद्यालय बनाया है। आप नेता हो जायेंगे। सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू, जार्ज वाशिंटन और अब्राहम लिंकन बन जायेंगे। नेता बनना जिनको पसन्द होवे, वे आगे आएँ और हमारे कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर चलें। साथ नहीं चलेंगे, तो योग्य आदमी कैसे बनेंगे?  

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 जब आप किसी को पसंद करने लगते हैं

जब आप किसी को पसंद करने लगते हैं, तब आप उसकी सारी बुराई भूल जाते हो …
और जब आप किसी को नापसंद करने लगते हो, तो उसकी सारी खूबियां भूल जाते हो…

आज इंसान शांति पाने के लिए किसी भी तरह के प्रयास करने में हिचकता नहीं है, परंतु यह उसका दुर्भाग्य होता है की उसे शांति प्राप्त होती नहीं है।

कारण शांति पाने के लिए हमें धन – दौलत की नही अपितु दूसरों का सहयोग करने से वो भी निस्वार्थ भाव से करने से प्राप्त होती है।

एक वृद्ध संत ने अपनी अंतिम घडी नजदीक देख, अपने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा:-

मै तुम चारों बच्चों को एक एक कीमती रत्न दे रहा हूँ, मुझे पूर्ण विश्वास है की तुम इन्हें बहुत संभाल कर रखोगे और पूरी जिंदगी इनकी सहायता से अपना जीवन आनंदमय तथा श्रेष्ठ बनाओगे।

पहला रत्न है:-
“माफी”

तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और न ही उसके लिए कभी प्रतिकार की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ़ कर देना।

दूसरा रत्न है:-
”भूल जाना”

अपने द्वारा दूसरों के प्रति किये गए उपकार को भूल जाना, कभी भी उस किये गए उपकार का प्रतिलाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना।

तीसरा रत्न है:-
”विश्वास”

हमेशा अपनी मेहनत और उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना क्योंकि हम कुछ नही कर सकते जब तक उस सृष्टि नियंता के विधान में नहीं लिखा होगा।
परमपिता परमात्मा पर रखा गया विश्वास ही तुम्हे जीवन के हर संकट से बचाएगा और सफल करेगा।

चौथा रत्न है:-
”वैराग्य”

हमेशा यह याद रखना की जब हमारा जन्म हुआ है तो निश्चित ही हमें एक दिन मरना ही है। इसलिए किसी के लिए अपने मन में लोभ– मोह न रखना।

तक तुम ये चार रत्न अपने पास सम्भाल कर रखोगे, तुम खुश और प्रसन्न रहोगे।

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...