एक बार महावीर अपने पुत्र से कह रहे थे की एक बार मैं एक रेलवे स्टेशन पर बैठा था मेरे पास एक व्यक्ति और बैठा था हम दोनो बाते कर रहे थे उसने कहा की मुझे भी अमुक स्थान पर जाना है हम दोनो को एक ही स्थान पर जाना था !
मै केन्टिन में गया और चाय व कुछ नाश्ता लेकर आया मैंने देखा वो व्यक्ति फोन पर बात करते हुये आगे चला जा रहा!
शायद ट्रेन आने वाली थी मैंने बेग उठाया और तेजी से उसके पिछे चलने लगा शायद आगे जाने से सीट मिल जाये मेरे पिछे कई व्यक्ति चलने लगे और चलते चलते हम सभी प्लेटफार्म नम्बर एक से नम्बर दो पर पहुँच गये और वो वहाँ बैठा तब मेरे मन में एक विचार आया की मैं इसके पीछे पीछे कहाँ आ गया मॆरी ट्रेन तो प्लेटफार्म नम्बर एक पर आने वाली है और मैं तो बिल्कुल उल्टी जगह पर आ गया और देखते ही देखते मॆरी आँखो के सामने से मॆरी ट्रेन चली गई और जो चाय नाश्ता लिया वो भी वही रह गया!
अब मुझे उस व्यक्ति पर बड़ा गुस्सा आ रहा था और मैं उसके पास गया और उससे लड़ने लगा की तुम्हारी वजह से मॆरी ट्रेन छुट गई मैं अपशब्द पे अपशब्द बोले जा रहा था और वो सुने जा रहा था काफी देर बोलने के बाद मैं वहाँ बैठ गया फिर वो बड़े ही शालीनता के साथ बोले भाई सा. यदि आपकी बात समाप्त हो गई हो तो मैं कुछ बोलुं?
मैंने कहा हाँ बोलो तब उन्होंने मुझे वो शिक्षा दी जो मैं आज तक नही भुला उन्होंने कहा।
"भाई सा. अचानक मुझे घर से कॉल आया की मुझे दिल्ली की बजाय मुम्बई जाना है क्योंकि हम सभी का प्लान चेंज हो गया और मॆरी ट्रेन प्लेटफार्म नम्बर दो पर आयेगी पर आप मुझे एक बात बताईये की जब आपको पता था और बोर्ड पे साफ शब्दों में लिखा था और बार बार अलाउन्समेन्ट हो रहा था की दिल्ली जाने वाली ट्रेन प्लेटफार्म नम्बर एक पर आयेगी तो आपने मुझे फॉलो क्यों किया? क्या आपको उस बोर्ड और उस अलाउन्समेन्ट के ऊपर कोई विश्वास न था? आपकी सबसे बड़ी गलती यही थी की आपने अपने विवेक से काम नही किया बस बिना सोचे समझे किसी को फोलो किया इसलिये आपका चाय-नाश्ता भी गया और चाय से हाथ भी जलाया और आपकी आँखो के सामने से आपकी ट्रेन चली गई और आप बस देखते रह गये!
और इतने में उनकी ट्रेन आ गई और वो उसमें बैठकर चले गये और जाते जाते मुझे कह गये की भाई सा. जिन्दगी में एक बात अच्छी तरह से याद रखना की अंधाधुंध फोलो किसी को मत करना अपने विवेक से काम लेना की जिस राह पे तुम जा रहे हो क्या वो तुम्हे सही मंजिल तक पहुंचायेगा? किसी को फोलो करोगे तो भटक सकते हो!
यदि फोलो करना ही है तो रामायण को, धर्म -शास्त्र को फोलो करना ताकी तुम कही भटको नही किसी व्यक्ति को कभी फोलो मत करना क्योंकि पाप कभी भी किसी के भी मन में आ सकता है या फिर उसका लक्ष्य कब बदल जाये कुछ पता नही इसलिये स्वविवेक से काम लेना। अच्छाई दिखे और लगे की ये चीज प्रकाश से जोड़ सकती है परम पिता परमेश्वर से मिला सकती है और मुझे एक बेहतरीन इन्सान बना सकती है तो उसे ग्रहण कर लेना नही तो छोड़ देना और अंधाधुंध फोलो करोगे बिना परिणाम जाने भेड़-चाल चलोगे तो हो सकता है की तुम भटक जाओ और गहरे अन्धकार में लुप्त हो जाओ!
इसलिये जिन्दगी में हमेशा बेहतरीन इन्सान बनने की कोशिश करना पर किसी को अंधाधुंध फोलो मत करना फोलो प्रकाश दे सकता है तो गहरा अंधकार भी दे सकता है!
मै केन्टिन में गया और चाय व कुछ नाश्ता लेकर आया मैंने देखा वो व्यक्ति फोन पर बात करते हुये आगे चला जा रहा!
शायद ट्रेन आने वाली थी मैंने बेग उठाया और तेजी से उसके पिछे चलने लगा शायद आगे जाने से सीट मिल जाये मेरे पिछे कई व्यक्ति चलने लगे और चलते चलते हम सभी प्लेटफार्म नम्बर एक से नम्बर दो पर पहुँच गये और वो वहाँ बैठा तब मेरे मन में एक विचार आया की मैं इसके पीछे पीछे कहाँ आ गया मॆरी ट्रेन तो प्लेटफार्म नम्बर एक पर आने वाली है और मैं तो बिल्कुल उल्टी जगह पर आ गया और देखते ही देखते मॆरी आँखो के सामने से मॆरी ट्रेन चली गई और जो चाय नाश्ता लिया वो भी वही रह गया!
अब मुझे उस व्यक्ति पर बड़ा गुस्सा आ रहा था और मैं उसके पास गया और उससे लड़ने लगा की तुम्हारी वजह से मॆरी ट्रेन छुट गई मैं अपशब्द पे अपशब्द बोले जा रहा था और वो सुने जा रहा था काफी देर बोलने के बाद मैं वहाँ बैठ गया फिर वो बड़े ही शालीनता के साथ बोले भाई सा. यदि आपकी बात समाप्त हो गई हो तो मैं कुछ बोलुं?
मैंने कहा हाँ बोलो तब उन्होंने मुझे वो शिक्षा दी जो मैं आज तक नही भुला उन्होंने कहा।
"भाई सा. अचानक मुझे घर से कॉल आया की मुझे दिल्ली की बजाय मुम्बई जाना है क्योंकि हम सभी का प्लान चेंज हो गया और मॆरी ट्रेन प्लेटफार्म नम्बर दो पर आयेगी पर आप मुझे एक बात बताईये की जब आपको पता था और बोर्ड पे साफ शब्दों में लिखा था और बार बार अलाउन्समेन्ट हो रहा था की दिल्ली जाने वाली ट्रेन प्लेटफार्म नम्बर एक पर आयेगी तो आपने मुझे फॉलो क्यों किया? क्या आपको उस बोर्ड और उस अलाउन्समेन्ट के ऊपर कोई विश्वास न था? आपकी सबसे बड़ी गलती यही थी की आपने अपने विवेक से काम नही किया बस बिना सोचे समझे किसी को फोलो किया इसलिये आपका चाय-नाश्ता भी गया और चाय से हाथ भी जलाया और आपकी आँखो के सामने से आपकी ट्रेन चली गई और आप बस देखते रह गये!
और इतने में उनकी ट्रेन आ गई और वो उसमें बैठकर चले गये और जाते जाते मुझे कह गये की भाई सा. जिन्दगी में एक बात अच्छी तरह से याद रखना की अंधाधुंध फोलो किसी को मत करना अपने विवेक से काम लेना की जिस राह पे तुम जा रहे हो क्या वो तुम्हे सही मंजिल तक पहुंचायेगा? किसी को फोलो करोगे तो भटक सकते हो!
यदि फोलो करना ही है तो रामायण को, धर्म -शास्त्र को फोलो करना ताकी तुम कही भटको नही किसी व्यक्ति को कभी फोलो मत करना क्योंकि पाप कभी भी किसी के भी मन में आ सकता है या फिर उसका लक्ष्य कब बदल जाये कुछ पता नही इसलिये स्वविवेक से काम लेना। अच्छाई दिखे और लगे की ये चीज प्रकाश से जोड़ सकती है परम पिता परमेश्वर से मिला सकती है और मुझे एक बेहतरीन इन्सान बना सकती है तो उसे ग्रहण कर लेना नही तो छोड़ देना और अंधाधुंध फोलो करोगे बिना परिणाम जाने भेड़-चाल चलोगे तो हो सकता है की तुम भटक जाओ और गहरे अन्धकार में लुप्त हो जाओ!
इसलिये जिन्दगी में हमेशा बेहतरीन इन्सान बनने की कोशिश करना पर किसी को अंधाधुंध फोलो मत करना फोलो प्रकाश दे सकता है तो गहरा अंधकार भी दे सकता है!