🔷 कंकर से तो शंकर बने और कंकर से ही काबा
इनका स्वरुप सिर्फ एक जैसे यह मन्नत का धागा
🔶 बरसों से हम बहते आये औ सदियों तक है बहना
नाहक पाले झूठा भरम नकली निकला ये गहना
🔷 पत्थरों पर यह गहरी धारें संचित संस्कारों की रेखाएं
जैसे बाँचती हो कर्मफल मुखरित मौन मुस्कुराये
🔶 सिमटे दिखते आस-पास कुटुंब और रिश्ते - नाते
सांसों के अनूठे मेले को ज्यादातर नहीं निभा पाते
🔷 मौन मनोरथ श्रंखला ज्यों जीवन प्रवाह समझाती
काल की गहन परतों को है स्वतः खोलती जाती
🔶 रे ! मनुष्य कुछ तो सीख इन बहती लहरों से आज
सांसों की इस सरगम में बजाना खूब अपना साज
🔷 ना रहना कठोर हमेशा यहाँ पत्थर घिस हैं जाते
बड़े बड़े सुरमा जहाँ से सिर्फ खाली हाथ जाते
🔶 बनाना तुम सिर्फ धारा जो स्वयं है बहती जाती
अपने अप्रतिम जोश से पत्थरों को चीरती जाती
🔷 समय सिर्फ धार देखता ना सराहे निरर्थक प्रयास
रे पत्थर तुम खूब सरकना ना छोड़ना कभी आस
इनका स्वरुप सिर्फ एक जैसे यह मन्नत का धागा
🔶 बरसों से हम बहते आये औ सदियों तक है बहना
नाहक पाले झूठा भरम नकली निकला ये गहना
🔷 पत्थरों पर यह गहरी धारें संचित संस्कारों की रेखाएं
जैसे बाँचती हो कर्मफल मुखरित मौन मुस्कुराये
🔶 सिमटे दिखते आस-पास कुटुंब और रिश्ते - नाते
सांसों के अनूठे मेले को ज्यादातर नहीं निभा पाते
🔷 मौन मनोरथ श्रंखला ज्यों जीवन प्रवाह समझाती
काल की गहन परतों को है स्वतः खोलती जाती
🔶 रे ! मनुष्य कुछ तो सीख इन बहती लहरों से आज
सांसों की इस सरगम में बजाना खूब अपना साज
🔷 ना रहना कठोर हमेशा यहाँ पत्थर घिस हैं जाते
बड़े बड़े सुरमा जहाँ से सिर्फ खाली हाथ जाते
🔶 बनाना तुम सिर्फ धारा जो स्वयं है बहती जाती
अपने अप्रतिम जोश से पत्थरों को चीरती जाती
🔷 समय सिर्फ धार देखता ना सराहे निरर्थक प्रयास
रे पत्थर तुम खूब सरकना ना छोड़ना कभी आस
विचार क्रांति अभियान शांतिकुंज हरिद्वार