शनिवार, 27 अप्रैल 2019
👉 बुलंद हौसले
एक कक्षा में शिक्षक छात्रों को बता रहे थे कि अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करो। वे सभी से पूछ रहे थे कि उनके जीवन का क्या लक्ष्य है? सभी विद्यार्थी उन्हें बता रहे थे कि वह क्या बनना चाहते हैं। तभी एक छात्रा ने कहा, 'मैं बड़ी होकर धाविका बनकर, ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं, नए रेकॉर्ड बनाना चाहती हूं।' उसकी बात सुनते ही कक्षा के सभी बच्चे खिलखिला उठे। शिक्षक भी उस लड़की पर व्यंग्य करते हुए बोले, 'पहले अपने पैरों की ओर तो देखो। तुम ठीक से चल भी नहीं सकती हो।'
वह बच्ची शिक्षक के समक्ष कुछ नहीं बोल सकी और सारी कक्षा की हंसी उसके कानों में गूंजती रही। अगले दिन कक्षा में मास्टर जी आए तो दृढ़ संयमित स्वरों में उस लड़की ने कहा, 'ठीक है, आज मैं अपाहिज हूं। चल-फिर नहीं सकती, लेकिन मास्टर जी, याद रखिए कि मन में पक्का इरादा हो तो क्या नहीं हो सकता। आज मेरे अपंग होने पर सब हंस रहे हैं, लेकिन यही अपंग लड़की एक दिन हवा में उड़कर दिखाएगी।'
उसकी बात सुनकर उसके साथियों ने फिर उसकी खिल्ली उड़ाई। लेकिन उस अपाहिज लड़की ने उस दिन के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह प्रतिदिन चलने का अभ्यास करने लगी। कुछ ही दिनों में वह अच्छी तरह चलने लगी और धीरे-धीरे दौड़ने भी लगी। उसकी इस कामयाबी ने उसके हौसले और भी बुलंद कर दिए। देखते ही देखते कुछ दिनों में वह एक अच्छी धावक बन गई। ओलिंपिक में उसने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया और एक साथ तीन स्वर्ण पदक जीतकर सबको चकित कर दिया। हवा से बात करने वाली वह अपंग लड़की थी अमेरिका के टेनेसी राज्य की ओलिंपिक धाविक विल्मा गोल्डीन रुडाल्फ, जिसने अपने पक्के इरादे के बलबूते पर न केवल सफलता हासिल की अपितु दुनियाभर में अपना नाम किया।
वह बच्ची शिक्षक के समक्ष कुछ नहीं बोल सकी और सारी कक्षा की हंसी उसके कानों में गूंजती रही। अगले दिन कक्षा में मास्टर जी आए तो दृढ़ संयमित स्वरों में उस लड़की ने कहा, 'ठीक है, आज मैं अपाहिज हूं। चल-फिर नहीं सकती, लेकिन मास्टर जी, याद रखिए कि मन में पक्का इरादा हो तो क्या नहीं हो सकता। आज मेरे अपंग होने पर सब हंस रहे हैं, लेकिन यही अपंग लड़की एक दिन हवा में उड़कर दिखाएगी।'
उसकी बात सुनकर उसके साथियों ने फिर उसकी खिल्ली उड़ाई। लेकिन उस अपाहिज लड़की ने उस दिन के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह प्रतिदिन चलने का अभ्यास करने लगी। कुछ ही दिनों में वह अच्छी तरह चलने लगी और धीरे-धीरे दौड़ने भी लगी। उसकी इस कामयाबी ने उसके हौसले और भी बुलंद कर दिए। देखते ही देखते कुछ दिनों में वह एक अच्छी धावक बन गई। ओलिंपिक में उसने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया और एक साथ तीन स्वर्ण पदक जीतकर सबको चकित कर दिया। हवा से बात करने वाली वह अपंग लड़की थी अमेरिका के टेनेसी राज्य की ओलिंपिक धाविक विल्मा गोल्डीन रुडाल्फ, जिसने अपने पक्के इरादे के बलबूते पर न केवल सफलता हासिल की अपितु दुनियाभर में अपना नाम किया।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
👉 प्रेरणादायक प्रसंग 4 Jan 2025
👉 शांतिकुंज हरिद्वार के Youtube Channel `Shantikunj Rishi Chintan` को आज ही Subscribe करें। ➡️ https://bit.ly/2KISkiz 👉 शान्तिकुं...