शनिवार, 30 जून 2018

👉 काश ! दुर्गा जग सके ...

🔷 आज सबको दुर्गा शक्ति के तत्वदर्शन को समझना चाहिए! विश्व को अब दुर्गाशक्ति की सर्वाधिक आवश्यकता है! दुर्गा संघशक्ति का प्रतीक है!

🔶 पुराणों में जो वर्णन आता है उसके अनुसार एक समय शुंभ-निशुंभ, महिषासुर आदि असुरों के अत्याचारों से पृथ्वी पर धर्म की जड़ें हिलने लगी थीं! ये मांसाहारी, मदिरा पीने वाले, व्यभिचारी, लुटेरे और हत्यारे असुर जब देव पुरुषों को नाना प्रकार के दुःख देने लगे तो देवताओं ने ब्रह्मा जी की सलाह पर अपनी बिखरी हुई शक्तियों को संचित किया! दैवीय शक्तियों की वह संगठित शक्ति दुर्गा, काली, चंडी अथवा अंबिका नामों से प्रसिद्ध हुई! उसने असुरों को मारा और दैवीय तत्वों की रक्षा की तभी से देवी की पूजा होने लगी!

🔷 परमात्मा की शक्तियों ने संगठित होकर दुर्गा के रूप में अवतरित होकर संसार को यह शिक्षा दी कि हम देव स्वाभाव के व्यक्ति यदि अधर्मी असुरों के मुकाबले में अपनी सज्जनता और धर्म धारणा के कारण कमजोर पड़ते हैं तो संगठित होकर अपनी संगठन की शक्ति का उपयोग करें! इससे वे निश्चय ही बड़े से बड़े असुरों को भूमिसात कर सकते हैं! आज इसी दुर्गा शक्ति के जागरण की आवश्यकता है!

🔶 सारे देश में घर-घर, गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में दुर्गा जागरण संपन्न कराये जा रहे हैं! काश!! इनसे दुर्गा शक्ति का जागरण हो सका होता! दुर्गा माता ने अवतरित होकर महिषासुर, मधुकैटभ, शुंभ-निशुंभ आदि असुरों का संहार किया था! महिषासुर अर्थात् आलस्य! मधुकैटभ अर्थात् असंयम! शुंभ-निशुंभ अर्थात् लोभ-मोह!

🔷 दुर्गा का अर्थ है अनीति अनाचार के विरुद्ध संगठित होकर संघर्ष करना! यदि दुर्गा माता के भक्तों ने अपने अंदर दुर्गा माता को अर्थात् आत्म-शक्ति को जगाकर व्यक्तिगत जीवन में इन असुर कुत्साओं का दमन किया होता, लौकिक जगत में अज्ञान, अन्याय और अभाव के रूप में व्याप्त इन तीन असुरों को परास्त किया होता तो भक्तों की दुर्गा पूजा और दुर्गा जागरण सार्थक हो जाता!!

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 Mahamana Mohan Malviya

🔷 It happened in the initial days of the Banaras Hindu University. Some students went to meet the founder vice-chancellor, Mahamana Mohan Malviya. They had many complaints against some of their teachers  and classmates. Malviyaji was an eminent scholar and patriot, who genuinely cared for the younger generation of the nation.

🔶 He patiently listened to the complaints then replied affectionately- “My young friends! There may be some thorns of angularities in those people, but these thorns would bother us only when we are not able to see the beauty of the flowers of their positive qualities. You should endeavor seeing the flowers of goodness indwelling  their lives; then the thorns will lose their prominence  and your life will also begin to get fragrant with the sweet scent of those flowers”.

📖 From Pragya Puran

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