🌹 छोटे संकल्प- बड़ी सफलताएँ
🔴 आज इतनी मात्रा में ही भोजन करेंगे, इतनी दूर टहलने जाएँगे, इतना व्यायाम करेंगे, आज तो ब्रह्मचर्य रखेंगे ही, बीड़ी पीने आदि का कोई व्यसन हो तो रोज जितना बीड़ी पीते थे, उसमें एक कम कर देंगे, इतने समय तो भजन या स्वाध्याय करेंगे ही, सफर एवं व्यवस्था में आज इतनी देर का अमुक समय तो लगाएँगे ही, इस प्रकार की छोटी- छोटी प्रतिज्ञाएँ नित्य लेनी चाहिए और उन्हें अत्यंत कड़ाई के साथ उस दिन तो पालन कर ही लेना चाहिए। दूसरे दिन की स्थिति समझते हुए फिर दूसरे दिन की सुधरी दिनचर्या बनाई जाए। इसमें शारीरिक क्रियाओं का ही नहीं, मानसिक गतिविधियों का सुधार करने का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रतिदिन छोटी- छोटी सफलताएँ प्राप्त करते चलने से अपना मनोबल निरंतर बढ़ता है और फिर एक दिन साहस एवं संकल्प बल इतना प्रबल हो जाता है कि आत्मशोधन की किसी कठोर प्रतिज्ञा को कुछ दिन ही नहीं वरन् आजीवन निबाहते रहना सरल हो जाता है।
🔵 दैनिक आत्मचिंतन एवं दिनचर्या निर्धारण के लिए एक समय निर्धारित किया जाए। दिनचर्या निर्धारण के लिए, प्रातः सोकर उठते ही जब तक शय्या त्याग न किया जाए, वह समय सर्वोत्तम है। आमतौर से नींद खुलने के कुछ देर बाद ही लोग शय्या त्यागते हैं, कुछ समय तो ऐसे ही आलस में पड़े रहते हैं। यह समय दैनिक कार्यक्रम बनाने के लिए सर्वोत्तम है। शय्या पर जाते समय ही किसी को नींद नहीं आ जाती, इसमें कुछ देर लगती है। इस अवसर को आत्म- चिंतन में, अपने आपसे १० प्रश्न पूछने और उनके उत्तर प्राप्त करने में लगाया जा सकता है। जिनके पास अन्य सुविधा के समय मौजूद हैं, पर उपरोक्त दो समय व्यस्त से व्यस्त सज्जनों के लिए भी सुविधाजनक रह सकते हैं। इन दोनों प्रक्रियाओं को अपनाकर हम आसानी से आत्मिक प्रगति के पथ पर बहुत आगे बढ़ सकते हैं।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🔴 आज इतनी मात्रा में ही भोजन करेंगे, इतनी दूर टहलने जाएँगे, इतना व्यायाम करेंगे, आज तो ब्रह्मचर्य रखेंगे ही, बीड़ी पीने आदि का कोई व्यसन हो तो रोज जितना बीड़ी पीते थे, उसमें एक कम कर देंगे, इतने समय तो भजन या स्वाध्याय करेंगे ही, सफर एवं व्यवस्था में आज इतनी देर का अमुक समय तो लगाएँगे ही, इस प्रकार की छोटी- छोटी प्रतिज्ञाएँ नित्य लेनी चाहिए और उन्हें अत्यंत कड़ाई के साथ उस दिन तो पालन कर ही लेना चाहिए। दूसरे दिन की स्थिति समझते हुए फिर दूसरे दिन की सुधरी दिनचर्या बनाई जाए। इसमें शारीरिक क्रियाओं का ही नहीं, मानसिक गतिविधियों का सुधार करने का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रतिदिन छोटी- छोटी सफलताएँ प्राप्त करते चलने से अपना मनोबल निरंतर बढ़ता है और फिर एक दिन साहस एवं संकल्प बल इतना प्रबल हो जाता है कि आत्मशोधन की किसी कठोर प्रतिज्ञा को कुछ दिन ही नहीं वरन् आजीवन निबाहते रहना सरल हो जाता है।
🔵 दैनिक आत्मचिंतन एवं दिनचर्या निर्धारण के लिए एक समय निर्धारित किया जाए। दिनचर्या निर्धारण के लिए, प्रातः सोकर उठते ही जब तक शय्या त्याग न किया जाए, वह समय सर्वोत्तम है। आमतौर से नींद खुलने के कुछ देर बाद ही लोग शय्या त्यागते हैं, कुछ समय तो ऐसे ही आलस में पड़े रहते हैं। यह समय दैनिक कार्यक्रम बनाने के लिए सर्वोत्तम है। शय्या पर जाते समय ही किसी को नींद नहीं आ जाती, इसमें कुछ देर लगती है। इस अवसर को आत्म- चिंतन में, अपने आपसे १० प्रश्न पूछने और उनके उत्तर प्राप्त करने में लगाया जा सकता है। जिनके पास अन्य सुविधा के समय मौजूद हैं, पर उपरोक्त दो समय व्यस्त से व्यस्त सज्जनों के लिए भी सुविधाजनक रह सकते हैं। इन दोनों प्रक्रियाओं को अपनाकर हम आसानी से आत्मिक प्रगति के पथ पर बहुत आगे बढ़ सकते हैं।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य