🔶 एक राजा बहुत दिनो से पुत्र की प्राप्ती के लिये आशा लगाये बैठा था,पर पुत्र नही हुआ। उसके सलाहकारों ने तांत्रिकों से सहयोग की बात बताई। सुझाव मिला कि किसी बच्ची की बलि दे दी जाये तो पुत्र प्राप्ति हो जायेगी। राजा ने राज्य में ये बात फैलाई कि जो अपनी बेटी देगा उसे बहुत सारे धन दिये जायेगे।
🔷 एक परिवार में कई बच्चें थे, गरीबी भी थी, एक ऐसी बच्ची भी था जो ईश्वर पर आस्था रखती थी जिसका नाम जीनल था तथा वो सन्तों के संग सत्संग में ज्यादा समय देती थी। परिवार को लगा कि इसे राजा को दे दिया जाये क्योंकि ये कुछ काम भी नही करती है, हमारे किसी काम की भी नही। इससे राजा प्रसन्न होकर बहुत सारा धन देगा। ऐसा ही किया गया जिनल को राजा को दे दिया गया।
🔶 राजा के तात्रिकों द्वारा जीनल की बलि की तैयारी हो गई, राजा को भी बुलाया गया, बच्चे से पुछा गया कि तुम्हारी आखरी इच्छा क्या है? क्योंकि अाज तुम्हारा जीवन का अन्तिम दिन है। जीनल ने कहा कि ठीक है मेरे लिये रेत मँगा दिया जाये, रेत अा गया। जीनल ने रेत से चार ढ़ेर बनाये, एक-एक करके तीन रेत के ढ़ेर को तोड़ दिया और चौथे के सामने हाथ जोड़कर बैठ गई और कहा कि अब जो करना है करे। ये सब देखकर तॉत्रिक डर गये बोले कि ये तुमने क्या किया है पहले बताओं।
🔷 राजा ने भी पुछा तो जीनल ने कहा कि पहली ढ़ेरी मेरे माता पिता की है, मेरी रक्षा करना उनका कर्तव्य था पर उन्होने पैसे के लिये मुझे बेच दिया। इसलिये मैने ये ढ़ेरी तोड़ी, दुसरा मेरे सगे-सम्बन्धियों का था, उन्होंने भी मेरे माता-पिता को नही समझाया तीसरा आपका है राजा क्योंकि राज्य के सभी इंसानों की रक्षा करना राजा का ही काम होता है पर राजा ही मेरी बलि देना चाह रहा है तो ये ढ़ेरी भी मैने तोड़ दी। अब सिर्फ मेरे सदगुरुदेव और ईश्वर पर मुझे भरोसा है इसलिये ये एक ढ़ेरी मैने छोड़ दी है।
🔶 राजा ने सोचा कि पता नही बच्ची की बलि से बाद भी पुत्र प्राप्त हो या न हो क्यों ना इस लडकी को ही अपनी पुत्री बना ले, इतनी समझदार और ईश्वर भक्त लडकी है। राजा ने उस बच्ची को अपनी बेटी बना ली और वो राजकुमारी बन गई और जीनल की ईश्वर भक्त के परिणाम राजा के वहा बच्चे का जन्म हुआ।
🔷 कहानी का भाव कि जो ईश्वर और सदगुरुदेव पर यकीन रखते है, उनका बाल भी बांका नही होता है, हर मुश्किल में एक का ही जो आसरा लेते है उनका कही से किसी प्रकार का कोई अहित नही होता है।
🔷 एक परिवार में कई बच्चें थे, गरीबी भी थी, एक ऐसी बच्ची भी था जो ईश्वर पर आस्था रखती थी जिसका नाम जीनल था तथा वो सन्तों के संग सत्संग में ज्यादा समय देती थी। परिवार को लगा कि इसे राजा को दे दिया जाये क्योंकि ये कुछ काम भी नही करती है, हमारे किसी काम की भी नही। इससे राजा प्रसन्न होकर बहुत सारा धन देगा। ऐसा ही किया गया जिनल को राजा को दे दिया गया।
🔶 राजा के तात्रिकों द्वारा जीनल की बलि की तैयारी हो गई, राजा को भी बुलाया गया, बच्चे से पुछा गया कि तुम्हारी आखरी इच्छा क्या है? क्योंकि अाज तुम्हारा जीवन का अन्तिम दिन है। जीनल ने कहा कि ठीक है मेरे लिये रेत मँगा दिया जाये, रेत अा गया। जीनल ने रेत से चार ढ़ेर बनाये, एक-एक करके तीन रेत के ढ़ेर को तोड़ दिया और चौथे के सामने हाथ जोड़कर बैठ गई और कहा कि अब जो करना है करे। ये सब देखकर तॉत्रिक डर गये बोले कि ये तुमने क्या किया है पहले बताओं।
🔷 राजा ने भी पुछा तो जीनल ने कहा कि पहली ढ़ेरी मेरे माता पिता की है, मेरी रक्षा करना उनका कर्तव्य था पर उन्होने पैसे के लिये मुझे बेच दिया। इसलिये मैने ये ढ़ेरी तोड़ी, दुसरा मेरे सगे-सम्बन्धियों का था, उन्होंने भी मेरे माता-पिता को नही समझाया तीसरा आपका है राजा क्योंकि राज्य के सभी इंसानों की रक्षा करना राजा का ही काम होता है पर राजा ही मेरी बलि देना चाह रहा है तो ये ढ़ेरी भी मैने तोड़ दी। अब सिर्फ मेरे सदगुरुदेव और ईश्वर पर मुझे भरोसा है इसलिये ये एक ढ़ेरी मैने छोड़ दी है।
🔶 राजा ने सोचा कि पता नही बच्ची की बलि से बाद भी पुत्र प्राप्त हो या न हो क्यों ना इस लडकी को ही अपनी पुत्री बना ले, इतनी समझदार और ईश्वर भक्त लडकी है। राजा ने उस बच्ची को अपनी बेटी बना ली और वो राजकुमारी बन गई और जीनल की ईश्वर भक्त के परिणाम राजा के वहा बच्चे का जन्म हुआ।
🔷 कहानी का भाव कि जो ईश्वर और सदगुरुदेव पर यकीन रखते है, उनका बाल भी बांका नही होता है, हर मुश्किल में एक का ही जो आसरा लेते है उनका कही से किसी प्रकार का कोई अहित नही होता है।