शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

👉 समय जरा भी बर्बाद न कीजिए (भाग २)

आज समय बड़ा तंगी का है। युग पुकार-पुकार कर चेतावनी दे रहा है, ‘उठो तन्द्रा छोड़ो, हर समय काम में जुटे रहो। अपने समय के प्रत्येक क्षण का सार्थक उपयोग करो। संसार आगे बढ़ रहा है तुम बहुत पीछे छूटे जा रहे हो। अपनी, अपने परिवार और अपने समाज, राष्ट्र की उन्नति के लिए काम करो। सुस्ती, आलस्य, तुच्छ मनोरंजन, व्यर्थ की टीका-टिप्पणी करने अथवा लड़ने-झगड़ने में समय और शक्ति बरबाद मत करो। समय उस मनुष्य का विनाश कर देता है जो उसे नष्ट करता रहता है। इसलिए उठो, चेतो और हर क्षण काम में लगे रहो। जो समय जा रहा है वह बहुत मूल्यवान है। एक बार निकल जाने के बाद फिर वापस नहीं आता। वर्तमान का विकृत अभ्यास भविष्य के आगामी समय को नष्ट कर डालता है। जीवन की अवधि सीमित है। इसी सीमित अवधि में सभी कुछ कर डालना है।

युग की पुकार उपयोगी तथा शिक्षाप्रद है। समय का सदुपयोग सारी उन्नतियों का मूलमन्त्र है। राष्ट्र, देश, समाज पिछड़ा हुआ है, व्यक्तिगत उन्नति रुकी हुई है। यह सब अभियान समय का सदुपयोग करने से आगे बढ़ेगा। आलस्य, प्रमाद, अकर्मण्यता तथा ठल्लेनवीसी हानिकारक है। इससे शरीर सुस्त और मन मृत जैसा हो जाता है। कार्यक्षमता कम हो जाती है, दक्षता कुण्ठित हो जाती है, मनुष्य संकीर्णता के दायरे में पड़ा-पड़ा मर जाता है। इसलिए जिसके पास जो कुछ समय शेष बचे उसका बुद्धिमानी पूर्वक सदुपयोग करते ही रहना चाहिये। एक नहीं ऐसे अनेक कार्य हो सकते हैं जो फालतू समय में पिये जा सकते हैं। उनसे आर्थिक लाभ भी हो सकता है और मनोरंजन की आवश्यकता भी पूरी हो सकती है।

निश्चय ही हर सामान्य व्यक्ति के पास बहुत-सा फालतू समय बचता है। परन्तु सभी यह शिकायत करते देखे जाते हैं कि उनके पास समय की कमी है। मारे काम-काज और दौड़-धूप के दम मारने की फुरसत नहीं मिलती। लेकिन यह बात सत्य से दूर है। उन्हें काम की बहुतायत तथा समय की कमी का भ्रम बना रहता है। यह भ्रम पैदा होने का कारण है। वह यह कि लोग अपना सारा काम अव्यवस्थित तथा अस्त-व्यस्त ढंग से किया करते हैं। जिससे जिस काम में जितना समय लगना चाहिये उससे कहीं अधिक लग जाता है। काम पूरे नहीं हो पाते और सदैव सिर पर सवार रहते हैं। दिन निकल जाता है, रात आ जाती है और बहुत से काम अनकिये पड़े रहते हैं। लोग यह समझते हैं कि उनके पास काम अधिक है और समय कम, जिससे वे हर समय परेशान और व्यग्र रहते हैं।

यह काम का बटवारा समय के अनुसार रहे और निर्धारित समय के लिए निश्चित किया हुआ काम तत्परता पूर्वक एक क्षण भी नष्ट किये बिना पूरी तन्मयता और शक्ति से किया जाए तो कोई भी काम अपेक्षित समय से अधिक समय न ले। सारे काम समय से पूरे हो जायेंगे। लोग समय और काम का बटवारा करते नहीं। जब जिस काम को चाहा पकड़ लिया और जिसको चाहा छोड़ दिया। काम का समय है लेकिन अलसा रहे हैं। करने के लिए अभी सोच ही रहे हैं। या धीरे-धीरे कर रहे हैं। बैठकर सुस्ताने लगे। ये ऐसे दोष हैं जो समय तो खराब कर ही देते हैं और साथ ही किसी काम को पूरी सफलता के साथ पूरा भी नहीं होने देते। निदान समय का अभाव बना रहता है और काम पड़े रहते हैं।

.... क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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