पांचजन्य उदघोष हुआ है, आओ रण में शौर्य दिखाओ।
रणभेरी बज उठी है वीरों, आलस में न समय गवाओ।।
सूरज उग रहा पूरब से, मधुर लालिमा छाई है।
ब्रह्मकमल की सुखद सुगंधि, हिमाद्री से आई है।।
समय अभी है परिवर्तन का,आओ मिलकर शंख बजाओ।
पांचजन्य उदघोष हुआ है, आओ रण में शौर्य दिखाओ ।।
पतझर बीत गया है मानों, नव बसंत अब द्वार खड़ा है।
दुरभिसंधि की रातें बीती, संकीर्ण शीत बेसुध पड़ा है।।
नवयुग के शुभ स्वागत हेतु, आओ अर्चन थाल सजाओ।
पांचजन्य उदघोष हुआ है, आओ रण में शौर्य दिखाओ।।
नवयुग के इस नये प्रहर में, नव निनाद सुर तान सुनो।
कलरव गूंज रहा चहुदिश है, केशव का आह्वान सुनो।।
उठो, चलो दौड़ो अब वीरों, अकर्मण्यता दूर भगाओ ।
पांचजन्य उदघोष हुआ है, आओ रण में शौर्य दिखाओ।
रणभेरी बज उठी है वीरों, आलस में न समय गवाओ।।
उमेश यादव