एक बार एक महात्मा जी बीच बाजार में से कहीँ जा रहे थे। वहीं पास के एक कोठे की छत पर एक वैश्या पान खा रही थी। अचानक उसने बेख्याली से उसने पान की पीक नीचे थूकी और वो पीक नीचे जा रहे महात्मा जी के ऊपर गिरी।
महात्मा जी ने ऊपर देखा वेश्या की ओर तथा मुस्करा कर आगे की और बढ़ गए। यह देखकर वैश्या को अपना अपमान समझ, गुस्सा आया। उसने वहीं पर बैठे अपने यार को कहा कि तुम्हारे होते, कोई मुझे देखकर मुस्कुरा रहा है और तुम यहाँ बैठे हो।
इतना सुनकर उसके यार ने वहीं पड़ा डंडा उठाया और नीचे उतरकर आगे जा रहे महातमा जी के सर पर जोर से दे मारा और वैश्या की तरफ देखकर मुस्कुराया, कि देख, मैंने बदला ले लिया है।
महात्मा जी ने अपना सर देखा जिसमे से खून निकल रहा था। तब भी महात्मा जी कुछ नहीं बोले और मुस्करा दिए और वहीं पास के एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उस वैश्या का यार मुस्कुराता हुआ वापस लौटने लगा। जब वो कोठे की सीढ़ियां चढ़ रहा था, तो सबसे ऊपर की सीढ़ी से उसका पैर फिसला और वो सबसे नीचे आ गिरा और उसके बहुत ज्यादा चोट लगी।
ये सब वो वैश्या देख रही थी और वो समझ गई कि वो महात्मा जी बहुत ही नाम जपने वाले और सच्चे है। वो नीचे आई और महात्मा जी के पास जाकर पैरो में गिरकर बोली - महात्मा जी मुझे माफ़ कर दो मैंने ही आपके पीछे अपने यार को भेजा था। उसने ही आपके सर पर वार किया था मुझे माफ़ कर दो ।
तो उन महात्मा जी ने मुस्करा कर कहा कि बेटी इस सारे झगड़े में तू और मैं कहाँ से आ गए। इसमें तुम्हारा और मेरा कोई दोष नहीं है ये यार~यार की लड़ाई है। "तुम्हारे यार से तुम्हारी बेइज्जती नहीं देखी गई" और मेरा यार जो वो ऊपरवाला है उससे मेरी तकलीफ नहीं देखी गई। इसलिए इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। और तुम्हारा यार तो तुम्हारे पास कभी कभी ही आता है कभी दिन में कभी रात में, लेकिन मेरा यार हर वक़्त मेरे साथ ही रहता है।
इसलिए तुम भी उसी की शरण लो जो हर वक़्त तुम्हारे साथ ही रहे। "जिंदगी में भी और जिंदगी के बाद भी "
महात्मा जी ने ऊपर देखा वेश्या की ओर तथा मुस्करा कर आगे की और बढ़ गए। यह देखकर वैश्या को अपना अपमान समझ, गुस्सा आया। उसने वहीं पर बैठे अपने यार को कहा कि तुम्हारे होते, कोई मुझे देखकर मुस्कुरा रहा है और तुम यहाँ बैठे हो।
इतना सुनकर उसके यार ने वहीं पड़ा डंडा उठाया और नीचे उतरकर आगे जा रहे महातमा जी के सर पर जोर से दे मारा और वैश्या की तरफ देखकर मुस्कुराया, कि देख, मैंने बदला ले लिया है।
महात्मा जी ने अपना सर देखा जिसमे से खून निकल रहा था। तब भी महात्मा जी कुछ नहीं बोले और मुस्करा दिए और वहीं पास के एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उस वैश्या का यार मुस्कुराता हुआ वापस लौटने लगा। जब वो कोठे की सीढ़ियां चढ़ रहा था, तो सबसे ऊपर की सीढ़ी से उसका पैर फिसला और वो सबसे नीचे आ गिरा और उसके बहुत ज्यादा चोट लगी।
ये सब वो वैश्या देख रही थी और वो समझ गई कि वो महात्मा जी बहुत ही नाम जपने वाले और सच्चे है। वो नीचे आई और महात्मा जी के पास जाकर पैरो में गिरकर बोली - महात्मा जी मुझे माफ़ कर दो मैंने ही आपके पीछे अपने यार को भेजा था। उसने ही आपके सर पर वार किया था मुझे माफ़ कर दो ।
तो उन महात्मा जी ने मुस्करा कर कहा कि बेटी इस सारे झगड़े में तू और मैं कहाँ से आ गए। इसमें तुम्हारा और मेरा कोई दोष नहीं है ये यार~यार की लड़ाई है। "तुम्हारे यार से तुम्हारी बेइज्जती नहीं देखी गई" और मेरा यार जो वो ऊपरवाला है उससे मेरी तकलीफ नहीं देखी गई। इसलिए इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। और तुम्हारा यार तो तुम्हारे पास कभी कभी ही आता है कभी दिन में कभी रात में, लेकिन मेरा यार हर वक़्त मेरे साथ ही रहता है।
इसलिए तुम भी उसी की शरण लो जो हर वक़्त तुम्हारे साथ ही रहे। "जिंदगी में भी और जिंदगी के बाद भी "