🔶 अपने मन की चिन्तायें हटाइये, जीवन की जटिलताओं में प्रवेश पाने की कामना का परित्याग कर दीजिए, आप निश्चय ही अपनी सुन्दरता प्राप्त कर सकेंगे। सुखद विचारों की भाव-तरंगें, सादगी के उपकरण मिलकर सौंदर्य का निर्माण करते हैं। प्रेम और कर्त्तव्य-भावना से सुन्दरता का विकास होता है। मन को सद्गुणों से आरोपित करने में ही मनुष्य का सच्चा सौंदर्य सन्निहित है। इस सुन्दरता पर दुर्भावनाओं, ईर्ष्या, छिद्रान्वेषण की मलिनता न पड़ने दीजिए। इस कुरूपता से सदैव दूर ही रखने का प्रयत्न करते रहिये। प्रसन्नता और आशापूर्ण सुखद विचारों को जितना अधिक अपने मस्तिष्क में स्थान देंगे उतना ही आपके शरीर और मन में तेजस्विता बनी रहेगी, यही सौंदर्य का गुण है।
🔷 विपत्तियाँ केवल कमजोर, कायर, डरपोक और निठल्ले व्यक्तियों को ही डराती, चमकाती और पराजित करती हैं और उन लोगों के वश में रहती हैं जो उनसे जूझने के लिए कमर कसकर तैयार रहते हैं। ऐसे व्यक्ति भली-भाँति जानते हैं कि जीवन यह फूलों की सेज नहीं वरन् रणभूमि है, जहाँ हमें प्रतिक्षण दुर्भावनाओं, दुष्प्रवृत्तियों और आपत्ति से निडर होकर जूझना है। वे इस संघर्ष में सूझबूझ से काम लेते हुए अपना जीवन-क्रम तदनुसार ढाँचे में ढालने का प्रयास करते रहते हैं और हमेशा इस बात का स्मरण रखते हैं कि किसी भी तात्कालिक पराजय को पराजय न माना जाय बल्कि हर हार से उचित शिक्षा ग्रहण कर नये मोर्चे पर युद्ध जारी रखा जाय और अन्तिम विजयश्री का वरण किया जाय।
🔶 मानव! तुम्हें संसार में इसलिए भेजा गया है कि अणु-अणु में छिपे भगवान को पहचानो, उसका साक्षात्कार करो और दूसरों को कराओ। इसके लिए तुम्हें परमात्मा के असंख्य रूपों का ज्ञान करा दिया गया है। उसका मार्ग बतला दिया गया है। उसके साधन दे दिए गये हैं। किन्तु क्या तुमने कभी स्वप्न में भी उसे खोजने की जिज्ञासा की है? क्या उपलब्ध साधनों को अपने परम उद्देश्य की ओर लगाया है? यदि नहीं—तो यह एक प्रकार से कृतघ्नता ही तो रही।
🔷 विपत्तियाँ केवल कमजोर, कायर, डरपोक और निठल्ले व्यक्तियों को ही डराती, चमकाती और पराजित करती हैं और उन लोगों के वश में रहती हैं जो उनसे जूझने के लिए कमर कसकर तैयार रहते हैं। ऐसे व्यक्ति भली-भाँति जानते हैं कि जीवन यह फूलों की सेज नहीं वरन् रणभूमि है, जहाँ हमें प्रतिक्षण दुर्भावनाओं, दुष्प्रवृत्तियों और आपत्ति से निडर होकर जूझना है। वे इस संघर्ष में सूझबूझ से काम लेते हुए अपना जीवन-क्रम तदनुसार ढाँचे में ढालने का प्रयास करते रहते हैं और हमेशा इस बात का स्मरण रखते हैं कि किसी भी तात्कालिक पराजय को पराजय न माना जाय बल्कि हर हार से उचित शिक्षा ग्रहण कर नये मोर्चे पर युद्ध जारी रखा जाय और अन्तिम विजयश्री का वरण किया जाय।
🔶 मानव! तुम्हें संसार में इसलिए भेजा गया है कि अणु-अणु में छिपे भगवान को पहचानो, उसका साक्षात्कार करो और दूसरों को कराओ। इसके लिए तुम्हें परमात्मा के असंख्य रूपों का ज्ञान करा दिया गया है। उसका मार्ग बतला दिया गया है। उसके साधन दे दिए गये हैं। किन्तु क्या तुमने कभी स्वप्न में भी उसे खोजने की जिज्ञासा की है? क्या उपलब्ध साधनों को अपने परम उद्देश्य की ओर लगाया है? यदि नहीं—तो यह एक प्रकार से कृतघ्नता ही तो रही।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform
Shantikunj WhatsApp
8439014110
( शांतिकुंज की गतिविधियों से जुड़ने के लिए 8439014110 पर अपना नाम लिख कर WhatsApp करें )
Official Facebook Page
Official Twitter
Official Instagram
Youtube Channel Rishi Chintan
Youtube Channel Shantikunjvideo
Official Telegram