🔶 एक किसान थककर खेतो में लौट रह था। उसे भूख भी बहुत लगी थी लेकिन जेब में चंद सिक्के ही थे। रास्ते में हलवाई की दुकान पड़ती थी। किसान हलवाई ककी दुकान पर रुका तो उसकी मिठाइयो की सुगंध का आनंद लेने लगा।
🔷 हलवाई ने उसे एसा करते देखा तो उसकी कुटिलता सूझी। जैसे ही किसान लौटने लगा, हलवाई ने उसे रोक लिया।
🔶 किसान हैरान होकर देखने लगा। हलवाई बोला- पैसे निकालो। किसान ने पूछा पैसे किस बात के? मेने तो मिठाई खाई ही नहीं।
🔷 जवाब में हलवाई बोला- तुमने मिठाई खाई बेशक नहीं हैं लेकिन यहाँ यहाँ इतनी देर खड़े होकर आनंद तो लिया हैं न।
🔶 मिठाई कि खुबसू लेना मिठाई खाने के बराबर हैं | तो तुम्हे उस खुसबू का आनंद उठाने के ही पैसे भरने होगे।
🔷 किसान पहले तो घबरा गया लेकिन थोड़ी सूझ-बूझ बरतते हुए उसने अपनी जेब से सिक्के निकले।
🔶 उन सिक्को को दोनों हाथो के बिच डालकर खनकाया। जब हलवाई ने सिक्को कि खनक सुन ली तो किसान जाने लगा।
🔷 हलवाई ने फिर पैएसे मांगे तो उसने कहा- जिस तरह मिठाई कि खुशबु लेना मिताही खाने के बराबर हैं, उसी तरह सिक्को कि खनक सुनना पैसे लेने के बराबर हैं।
🔶 मंत्र : सूझबूझ से मुश्किल हल करे।
🔷 हलवाई ने उसे एसा करते देखा तो उसकी कुटिलता सूझी। जैसे ही किसान लौटने लगा, हलवाई ने उसे रोक लिया।
🔶 किसान हैरान होकर देखने लगा। हलवाई बोला- पैसे निकालो। किसान ने पूछा पैसे किस बात के? मेने तो मिठाई खाई ही नहीं।
🔷 जवाब में हलवाई बोला- तुमने मिठाई खाई बेशक नहीं हैं लेकिन यहाँ यहाँ इतनी देर खड़े होकर आनंद तो लिया हैं न।
🔶 मिठाई कि खुबसू लेना मिठाई खाने के बराबर हैं | तो तुम्हे उस खुसबू का आनंद उठाने के ही पैसे भरने होगे।
🔷 किसान पहले तो घबरा गया लेकिन थोड़ी सूझ-बूझ बरतते हुए उसने अपनी जेब से सिक्के निकले।
🔶 उन सिक्को को दोनों हाथो के बिच डालकर खनकाया। जब हलवाई ने सिक्को कि खनक सुन ली तो किसान जाने लगा।
🔷 हलवाई ने फिर पैएसे मांगे तो उसने कहा- जिस तरह मिठाई कि खुशबु लेना मिताही खाने के बराबर हैं, उसी तरह सिक्को कि खनक सुनना पैसे लेने के बराबर हैं।
🔶 मंत्र : सूझबूझ से मुश्किल हल करे।