जो प्रस्तुत सौभाग्य का सदुपयोग करते हैं वे क्रमश: अधिक ऊँचे उठते और पूर्णता के लक्ष्य तक जा पहुँचते हैं
सामने आया समय बार- बार नहीं आता। मानव जीवन एक सौभाग्य है जो बार- बार नहीं मिलता। विडम्बना यही है कि इसका सदुपयोग करने वाले कम ही होते हैं। जो जीवन का समुचित उपयोग करना जानते हैं वे क्रमिक गति से ऊँचे उठते हुए परम ध्येय को अन्तत: प्राप्त करके ही रहते हैं।
पुलस्ति के विश्रवा के यहाँ एक कुरूप सन्तान ने जन्म लिया। बेडौल आकार का होने के कारण सभी उसकी हँसी उड़ाते। उसे लोगों की मूर्खता पर बड़ा क्षोभ हुआ। 'कुबेर' नामक इस पुरुषार्थी ने अपनी हँसी घर में उड़ते देख ठान ली कि वह मानव समुदाय को यह बताकर रहेगा कि सभी को मनुष्य जीवन रूपी प्राप्त सम्पदा का सदुपयोग कर महान से महान बना जा सकता है। शरीर गत सुन्दरता से नहीं अपितु गुण रूपी सम्पदा महत्वपूर्ण है एवं उसे ही अर्जित किया जाना चाहिए। यह सोचकर उसने अपनी योग्यता बढ़ाने के लिए कठोर तप किया। अपनी लगन से उसने पिता व बाबा को भी इस साधना में सम्मिलित कर लिया। देवताओं ने उन्हें अपना धनाधीश- लोकपाल बनाया और वे अलकापुरी में राज करने लगे।
📖 प्रज्ञा पुराण से
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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