👉 *जीवन का लक्ष्य भी निर्धारित करें *
🔹 जीवन-यापन और जीवन-लक्ष्य दो भिन्न बातें हैं। प्रायः सामान्य लोगों का लक्ष्य जीवन यापन ही रहता है। खाना-कमाना, ब्याह-शादी, लेन-देन, व्यवहार-व्यापार आदि साधारण जीवन क्रमों को पूरा करते हुए मृत्यु तक पहुंच जाना, बस, इसके अतिरिक्त उनका अन्य कोई लक्ष्य नहीं होता। एक जीविका का साधन जुटा लेना, एक परिवार बसा लेना और बच्चों का पालन-पोषण करते हुए शादी-ब्याह आदि कर देना मात्र ही साधारणतया लोगों ने जीवन-लक्ष्य मान लिया है।
🔸 वस्तुतः यह जीवन-यापन की साधारण प्रक्रिया मात्र है, जीवन-लक्ष्य नहीं। जीवन-लक्ष्य उस सुनिश्चित विचार को ही कहा जायेगा, जो संसार के साधारण कार्यक्रम से, कुछ अलग, कुछ ऊंचा हो और जिसे पूरा करने में कुछ अतिरिक्त पुरुषार्थ करना पड़े।
🔹 जीवन में कोई सुनिश्चित लक्ष्य, कुछ विशेष ध्येय धारण करके चलने वालों को असाधारण व्यक्तियों की कोटि में रक्खा जाता है। उनकी विशेषता तथा महानता केवल यही होती है कि परम्परा के साधारण जीवन के अभ्यस्त व्यक्तियों में से उनने कुछ आगे बढ़कर, कुछ असामान्यता ग्रहण की है। लोग उनको महान् इसलिए मान लेते हैं कि जहां सामान्य लोग समझी-बुझी तथा एक ही लीक पर चलती चली जा रही जीवन-गाड़ी में न जाने कितनी दुःख तकलीफें अनुभव करते हैं, तब उस व्यक्ति ने एक अन्य, अनजान एवं असामान्य मार्ग चुना है। इसका साहस एवं कष्ट-सहिष्णुता कुछ अधिक बढ़ी-चढ़ी है।
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🔸 जीवन-यापन की साधारण प्रक्रिया को भी यदि एक असामान्य दृष्टिकोण से लेकर चला जाय तो वह भी एक प्रकार का जीवन-लक्ष्य बन जाता है। इस साधारण प्रक्रिया का असाधारणत्व केवल यही हो सकता है कि जीवन इस प्रकार से बिताया जाये, जिसमें मनुष्य पतन के गर्त में न गिरकर एक आदर्श-जीवन बिताता हुआ उसकी परिसमाप्ति तक पहुंच जाये। जिसने जीवन की आहों, आंसुओं तथा विषादों से मुक्त करके हास, उल्लास, हर्ष, प्रमोद तथा उत्साह के साथ बिता लिया है, उसने भी मानो सफल जीवन-यापन का एक लक्ष्य ही प्राप्त कर लिया है। जिसने सन्तोषपूर्वक हंसते हुए जीवन-परिधि के बाहर पैर रक्खा है, उसका जीवन सफल ही माना जायेगा। इसके विपरीत जिसने जीवन-परिधि को रोते, बिलखते, तड़फते तथा तरसते हुए पार किया, मानो उसका जीवन घोर असफल ही हुआ।
जीवन की सफलता का प्रमाण जहां किसी के कार्य और कर्तृत्व से दिया करते हैं, वहां उसकी अन्तिम श्वास में सन्निहित शान्ति एवं सन्तोष की मात्रा भी उसका एक सुन्दर प्रमाण है।
.... क्रमशः जारी
📖 पुस्तक:- जीवन लक्ष्य और उसकी प्राप्ति, पृष्ठ ५
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य