जीवन कभी भी शाँत, सुखी और सफल नहीं हो सकता, जब तक उसका समन्वय प्रकृति प्रदत्त प्रतिभा के साथ न हो। एक विद्वान कहता है कि-”बालक जो चाहता है, युवक उसकी प्राप्ति का प्रयत्न करता है और पूर्ण मनुष्य उसे प्राप्त करता है।” सच्चा और स्वतः परिश्रम प्रतिभा से पैदा होता है। नेलसन ने जल युद्ध में अद्वितीय सफलता इसलिए प्राप्त की कि वह बचपन में जहाज का खिलौना खेला करता था। चन्द्रगुप्त मौर्य भारत सम्राट इसीलिए बना कि वह बचपन में खेलने कूदने में राजा का अभिनय किया करता था। यदि सच्ची प्रतिभा है तो जरा सा बल मिलने और मार्ग प्रदर्शन करने पर पूर्ण सफलता प्राप्त करा देती है।
प्रतिभा को पहचान लेने के बाद, उसके समुचित विकास में अनेक बातों का सहारा लेना पड़ता है। घरेलू परिस्थितियों का इस सम्बन्ध में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि मनुष्य जिस माता के गर्भ से जन्म लेता है और जिस पिता के प्यार से पलता है, उसके प्रभाव से उसकी प्रतिभा अछूती नहीं रह सकती। इन्हीं कारणों से प्रायः सभी विद्वानों ने मातृ-प्रभाव को मुक्त कंठ से स्वीकार किया है। वह युवक बड़े भाग्यवान हैं और उनकी सफलता निश्चित है जिन्हें अच्छी माता और अच्छे पिता का संरक्षण प्राप्त है।
घरेलू प्रभाव के बाद मनुष्य की प्रतिभा पर सबसे अधिक प्रभाव ‘मित्र’ का पड़ता है। इस प्रकार के कुप्रभाव से बचना मनुष्य के हाथ में है। अच्छी संगति की महिमा इसीलिए बार-बार गाई है कि मनुष्य के जीवन का निर्माण उसके मित्रों के सहयोग से होता है। एक लेखक ने कहा है कि एक सच्चा मित्र मनुष्य की सुरक्षा का सबसे बड़ा साधन है और जिसको ऐसा मित्र मिल गया, उसे मानो एक बड़ा खजाना मिल गया। एक सच्चा मित्र जीवन की दवा है। अपनी प्रतिभा के अनुकूल ही अपने मित्र बनाने चाहिए। अंग्रेजी कवि वायरन के काव्य का अध्ययन करने से स्पष्ट पता चलता है कि उसकी प्रतिभा पर उसके मित्रों के विचारों का रंग खूब चढ़ा हुआ है। शेली के संग में रह कर ही उसने भावों की कोमलता और प्रकृति के प्रति असीम अनुराग प्राप्त किया।
📖 अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1949 पृष्ठ 13
प्रतिभा को पहचान लेने के बाद, उसके समुचित विकास में अनेक बातों का सहारा लेना पड़ता है। घरेलू परिस्थितियों का इस सम्बन्ध में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि मनुष्य जिस माता के गर्भ से जन्म लेता है और जिस पिता के प्यार से पलता है, उसके प्रभाव से उसकी प्रतिभा अछूती नहीं रह सकती। इन्हीं कारणों से प्रायः सभी विद्वानों ने मातृ-प्रभाव को मुक्त कंठ से स्वीकार किया है। वह युवक बड़े भाग्यवान हैं और उनकी सफलता निश्चित है जिन्हें अच्छी माता और अच्छे पिता का संरक्षण प्राप्त है।
घरेलू प्रभाव के बाद मनुष्य की प्रतिभा पर सबसे अधिक प्रभाव ‘मित्र’ का पड़ता है। इस प्रकार के कुप्रभाव से बचना मनुष्य के हाथ में है। अच्छी संगति की महिमा इसीलिए बार-बार गाई है कि मनुष्य के जीवन का निर्माण उसके मित्रों के सहयोग से होता है। एक लेखक ने कहा है कि एक सच्चा मित्र मनुष्य की सुरक्षा का सबसे बड़ा साधन है और जिसको ऐसा मित्र मिल गया, उसे मानो एक बड़ा खजाना मिल गया। एक सच्चा मित्र जीवन की दवा है। अपनी प्रतिभा के अनुकूल ही अपने मित्र बनाने चाहिए। अंग्रेजी कवि वायरन के काव्य का अध्ययन करने से स्पष्ट पता चलता है कि उसकी प्रतिभा पर उसके मित्रों के विचारों का रंग खूब चढ़ा हुआ है। शेली के संग में रह कर ही उसने भावों की कोमलता और प्रकृति के प्रति असीम अनुराग प्राप्त किया।
📖 अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1949 पृष्ठ 13
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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