मंगलवार, 11 जुलाई 2017

👉 हमारा युग निर्माण सत्संकल्प (भाग 25)

🌹  मर्यादाओं को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे, नागरिक कर्तव्यों का पालन करेंगे और समाजनिष्ठ बने रहेंगे।

🔴 नियंत्रण में रहना आवश्यक है। मनुष्य के लिए यही उचित है कि वह ईश्वरीय मर्यादाओं का पालन करे। अपने उत्तरदायित्वों को समझे और कर्तव्यों को निबाहें। नीति, सदाचार और धन का पालन करते हुए सीमित लाभ में संतोष करना पड़ सकता है। गरीबी और सादगी का जीवन बिताना पड़ सकता है, पर उसमें चैन अधिक है। अनीति अपनाकर अधिक धन एकत्रित कर लेना संभव है, पर ऐसा धन अपने साथ इतने उपद्रव लेकर आता है कि उनसे निपटना भारी त्रासदायक सिद्ध होता है।

🔵 दंभ और अहंकार का प्रदर्शन करके लोगों के ऊपर जो रौब जमाया जाता है, उससे आतंक और कौतूहल हो सकता है, पर श्रद्धा और प्रतिष्ठा का दर्शन भी दुर्लभ रहेगा। विलासिता और वासना का अनुपयुक्त भोग भोगने वाला अपना शारीरिक, मानसिक और सामाजिक संतुलन नष्ट करके खोखला ही बनता जाता है। परलोक और पुनर्जन्म को अंधकारमय बनाकर आत्मा को असंतुष्ट और परमात्मा को अप्रसन्न रखकर क्षणिक सूखों के लिए अनीति का मार्ग अपनाना, किसी भी दृष्टि से दूरदर्शिता पूर्ण नहीं कहा जा सकता।

🔴  बुद्धिमत्ता इसी में है कि हम धर्म, कर्तव्य पालन का महत्त्व समझें, सदाचार की मर्यादाओं का उल्लंघन न करें। स्वयं शांतिपूर्वक जिएँ और दूसरों को सुखपूर्वक जीने दें। यह सब नियंत्रण की नीति अपनाने से ही संभव हो सकता है। कर्तव्य और धर्म का अंकुश परमात्मा ने हमारे ऊपर इसीलिए रखा है कि सन्मार्ग में भटकें नहीं। इन नियंत्रणों को तोड़ने की चेष्टा करना अपने और दूसरों के लिए महती विपत्तियों को आमंत्रित करने की मूर्खता करना ही गिना जाएगा।

🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
http://literature.awgp.org/book/ikkeesaveen_sadee_ka_sanvidhan/v1.37

http://literature.awgp.org/book/ikkeesaveen_sadee_ka_sanvidhan/v2.6

👉 Lose Not Your Heart Day 11

🌹  Walk Alone
🔵 Great men go far on their paths because they walk alone. Their inspiration comes from within. They alone spur their happiness and remove their sadness and they are helped along only by their own ideas.

🔴 Loneliness is an undeniable truth. To be afraid of it, feel inferior because of it, or lose sight of your duties because of it is the greatest sin. What you believe to be loneliness is actually a kind of solitude, given to you to develop your own inner strength. When you depend on yourself, you are better able to realize your full potential.

🌹 ~Pt. Shriram Sharma Acharya

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