देश धर्म संस्कृति के खातिर, अपना शीश कटाया था।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
जालिम औरंगजेब ने भारत में, अत्याचार फैलाया था।
कश्मीरी पंडितों को जबरन ही, मुसलमान बनावाया था।।
हिन्दू सिखों पर जुल्मों का जब, क्रूर कहर बरपाया था।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
धर्म संस्कृति की रक्षा को, घर घर अलख जगाये थे।
धैर्य त्याग वैराग्य मूर्ति थे, ’हिन्द दी चादर’कहलाये थे।।
इस्लाम नहीं स्वीकारा गुरु ने, हंसकर शीश कटाया था।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
धर्म नहीं वह होता है जो, बल पर ही अभिमान करे।
मानवीय मूल्यों को न समझे,मानव का अपमान करे।।
क्रांतिकारी गुरु ने तब सबको,धर्म का मर्म सिखाया था।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
‘सीस दिया पर सी न किया’था, धर्म हेतु बलिदान था।
शाश्वत मूल्यों की रक्षा को, साहस का अभियान था।।
धर्म विरोधी क्रूर शासक को, निर्भय हो धूल चटाया था।।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
उमेश यादव
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
जालिम औरंगजेब ने भारत में, अत्याचार फैलाया था।
कश्मीरी पंडितों को जबरन ही, मुसलमान बनावाया था।।
हिन्दू सिखों पर जुल्मों का जब, क्रूर कहर बरपाया था।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
धर्म संस्कृति की रक्षा को, घर घर अलख जगाये थे।
धैर्य त्याग वैराग्य मूर्ति थे, ’हिन्द दी चादर’कहलाये थे।।
इस्लाम नहीं स्वीकारा गुरु ने, हंसकर शीश कटाया था।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
धर्म नहीं वह होता है जो, बल पर ही अभिमान करे।
मानवीय मूल्यों को न समझे,मानव का अपमान करे।।
क्रांतिकारी गुरु ने तब सबको,धर्म का मर्म सिखाया था।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
‘सीस दिया पर सी न किया’था, धर्म हेतु बलिदान था।
शाश्वत मूल्यों की रक्षा को, साहस का अभियान था।।
धर्म विरोधी क्रूर शासक को, निर्भय हो धूल चटाया था।।
गुरु तेग बहादुर ने साहस से, धर्मांतरण रुकवाया था।।
उमेश यादव