मंगलवार, 8 दिसंबर 2020
👉 समर्पण की कथा
"समर्पण" की कथा का त्याग से प्रारंभ है होता,
"समर्पण" में सदा सर्वस्व अर्पण ही सहज होता,
"समर्पण" वह नहीं प्रतिफल की जिसमें हो कोई आशा,
"समर्पण" बीज है जो भूमि में अस्तित्व है खोता |
"समर्पण" धार पर तलवार की निर्भीक हो चलना ,
"समर्पण" ऋषि दधीचि का जगतहित अस्थियाँ देना,
"समर्पण" में सदा मीरा को प्याला विष का ही लेना ,
"समर्पण" राम के दरबार का हनुमान है बनना |
"समर्पण" बिंदु को भी सिन्धु का सम्मान मिलना है ,
"समर्पण" ओस का इक सीप में मोती सा ढलना है,
"समर्पण" संकटों में द्रौपदी का चीर बन जाना ,
"समर्पण" कष्ट भी आये तो जीना और मुस्काना |
"समर्पण" है किसी सरिता का सागर में समां जाना,
"समर्पण" है नहीं शब्दों का ग्रन्थाकार बन जाना,
"समर्पण" लक्ष्य अर्जुन का, नहीं है ध्यान भटकाना,
"समर्पण" कालनेमि की वृथा बातों में न आना ।
सुधीर भारद्वाज
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