विपरीत परिस्थितियाँ हर व्यक्ति के जीवन में कभी-न-कभी आती ही हैं। ऐसे में आत्मविश्वास सूखी रेत की तरह मुट्ठियों से फिसलने लगता है। चारों तरफ अंधकार ही अंधकार नजर आता है, साहस घुटने टेकने लगता है। एक पल ऐसा लगता है कि सब कुछ नष्ट हो जाएगा।
ऐसी स्थिति में केवल दो ही विकल्प शेष रह जाते हैं- करो या फिर मरो।
इसमें जो विपरीतताओं-विषमताओं से लड़े बगैर हार मान लेता है, उसका मरण तो निश्चित्त है। लेकिन जो साहस जुटाकर संघर्ष करता है, वही प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त कर इतिहास रचता और सफलता की इबारत गढ़ता है।
ऐसी स्थिति में केवल दो ही विकल्प शेष रह जाते हैं- करो या फिर मरो।
इसमें जो विपरीतताओं-विषमताओं से लड़े बगैर हार मान लेता है, उसका मरण तो निश्चित्त है। लेकिन जो साहस जुटाकर संघर्ष करता है, वही प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त कर इतिहास रचता और सफलता की इबारत गढ़ता है।