👉 जीवन में प्रेम का संचय करें, अहंकार का नहीं।
🔷 जगत की ओर देखने वाला अहंकार से भरा हुआ हो जाता है, प्रभु की ओर देखने वाला प्रेम से पूर्ण होता है।
🔶 अहंकार सदा लेकर प्रसन्न होता है, प्रेम सदा देकर संतुष्ट/आनंदित होता है।
🔷 अहंकार को अकड़ने का अभ्यास है, प्रेम सदा झुक कर विनम्रता से रहता है।
🔶 अहंकार जिस पर बरसता है उसे तोड़ देता है, प्रेम जिस पर बरसता है उसे जोड़ देता है।
🔷 अहंकार दूसरों को ताप देता है, प्रेम शीतल मीठे जल सी तृप्ति देता है।
🔶 अहंकार संग्रह में लगा रहता है, प्रेम बाँट-बाँट कर आगे बढ़ता है।
🔷 अहंकार सबसे आगे रहना चाहता है, प्रेम सबके पीछे रहने में प्रसन्न है।
🔶 अहंकार सब कुछ पाकर भी भिखारी है , प्रेम अकिंचन रहकर भी पूर्ण धनी है।
जीवन प्रेममयी बने।
🔷 जगत की ओर देखने वाला अहंकार से भरा हुआ हो जाता है, प्रभु की ओर देखने वाला प्रेम से पूर्ण होता है।
🔶 अहंकार सदा लेकर प्रसन्न होता है, प्रेम सदा देकर संतुष्ट/आनंदित होता है।
🔷 अहंकार को अकड़ने का अभ्यास है, प्रेम सदा झुक कर विनम्रता से रहता है।
🔶 अहंकार जिस पर बरसता है उसे तोड़ देता है, प्रेम जिस पर बरसता है उसे जोड़ देता है।
🔷 अहंकार दूसरों को ताप देता है, प्रेम शीतल मीठे जल सी तृप्ति देता है।
🔶 अहंकार संग्रह में लगा रहता है, प्रेम बाँट-बाँट कर आगे बढ़ता है।
🔷 अहंकार सबसे आगे रहना चाहता है, प्रेम सबके पीछे रहने में प्रसन्न है।
🔶 अहंकार सब कुछ पाकर भी भिखारी है , प्रेम अकिंचन रहकर भी पूर्ण धनी है।
जीवन प्रेममयी बने।