🔷 अनेक कष्टो से मनुष्य की रक्षा करती है गायत्री मंत्र।
भूत प्रेत, चोर डाकू, राज कोप, आशंका, भय, अकाल मृत्यु, रोग और अनेक प्रकार की बाधाओं का निवारण करके मनुष्य को सदैव तेजश्वी बनाय रखता है।
इन मंत्रों को प्रतिदिन जपकर सुख, सौभाग्य, समृद्धि और ऎश्वर्य प्राप्ति की जा शक्ति है।
🔶 १. गणेश गायत्री:- यह समस्त प्रकार के विघ्नों का निवारण करने में सक्षम है
ॐ एक दृष्टाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्।
🔷 २. नृसिंह गायत्री:- यह मंत्र पुरषार्थ एवं पराक्रम की बृद्धि होती है।
ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।
🔶 ३. विष्णु गायत्री:- यह पारिवारिक कलह को समाप्त करता है।
ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।
🔷 ४. शिव गायत्री:- यह कल्याण करने में अदूतीय है।
ॐ पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
🔶 ५. कृष्ण गायत्री:- यह मंत्र कर्म क्षेत्र की सफलता हेतु इसका जप आवश्यक है।
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।
🔷 ६. राधा गायत्री:- यह मंत्र प्रेम का अभाव दूर होकर, पूर्णता को पहुचता है।
ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।
🔶 ७. लक्ष्मी गायत्री:- यह मंत्र पद प्रतिष्ठा, यश ऐश्वर्य और धन Sसम्पति की प्राप्ति होती है।
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।
🔷 ८. अग्नि गायत्री:- यह मंत्र इंद्रियों की तेजस्विता बढ़ती है।
ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्नि: प्रचोदयात्।
🔶 ९. इन्द्र गायत्री:- यह मंत्र दुश्मनों है हमले से बचाता है।
ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्र: प्रचोदयात्।
🔷 १०. सरस्वती गायत्री:- यह मंत्र ज्ञान बुद्धि की वृद्धि होती है एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है।
ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।
🔶 ११. दुर्गा गायत्री:- यह मंत्र से दुखः और पीड़ानही रहती है।शत्रु नाश, विघ्नों पर विजय मिलती है।
ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।
🔷 १२. हनुमान गायत्री:- यह मंत्र कर्म के प्रति निष्ठा की भावना जागृत होती हैं।
ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।
🔶 १३. पृथ्वी गायत्री:- यह मंत्र दृढ़ता, धैर्य और सहिष्णुता की वृद्धि होती है।
ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्त्रमूत्यै धीमहि। तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्।
🔷 १४. सूर्य गायत्री:- यह मंत्र शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।
🔶 १५. राम गायत्री:- यह मंत्र इससे मान प्रतिष्ठा बढती है।
ॐ दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो राम: प्रचोदयात्।
🔷 १६. सीता गायत्री:- यह मंत्र तप की शक्ति में वृद्धि होती है।
ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात्।
🔶 १७. चन्द्र गायत्री:- यह मंत्र निराशा से मुक्ति मिलती है और मानसिकता प्रवल होती है।
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्।
🔷 १८. यम गायत्री:- यह मंत्र इससे मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है।
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि। तन्नो यम: प्रचोदयात्।
🔶 १९. ब्रह्मा गायत्री:- यह मंत्र व्यापारिक संकटो को दूर करता है।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि। तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।
🔷 २०. वरुण गायत्री:- यह मंत्र प्रेम भावना जागृत होती है, भावनाओ का उदय होता हैं।
ॐ जलबिम्वाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि। तन्नो वरुण: प्रचोदयात्।
🔶 २१. नारायण गायत्री:- यह मंत्र प्रशासनिक प्रभाव बढ़ता है।
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो नारायण: प्रचोदयात्।
🔷 २२. हयग्रीव गायत्री:- यह मंत्र समस्त भयो का नाश होता है।
ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि। तन्नो हयग्रीव: प्रचोदयात्।
🔶 २३. हंस गायत्री:- यह मंत्र विवेक शक्ति का विकाश होता है,बुद्धि प्रखर होती है।
ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।
🔷 २४. तुलसी गायत्री:- परमार्थ भावना की उत्त्पति होती है।
ॐ श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।
🔶 गायत्री साधना का प्रभाव तत्काल होता है जिससे साधक को आत्मबल प्राप्त होता है और मानसिक कष्ट में तुरन्त शान्ति मिलती है। इस महामन्त्र के प्रभाव से आत्मा में सतोगुण बढ़ता है।
🔷 गायत्री की महिमा के सम्बन्ध में क्या कहा जाए। ब्रह्म की जितनी महिमा है, वह सब गायत्री की भी मानी जाती हैं। वेदमाता गायत्री से यही विनम्र प्रार्थना है कि वे दुर्बुद्धि को मिटाकर सबको सद्बुद्धि प्रदान करें।
भूत प्रेत, चोर डाकू, राज कोप, आशंका, भय, अकाल मृत्यु, रोग और अनेक प्रकार की बाधाओं का निवारण करके मनुष्य को सदैव तेजश्वी बनाय रखता है।
इन मंत्रों को प्रतिदिन जपकर सुख, सौभाग्य, समृद्धि और ऎश्वर्य प्राप्ति की जा शक्ति है।
🔶 १. गणेश गायत्री:- यह समस्त प्रकार के विघ्नों का निवारण करने में सक्षम है
ॐ एक दृष्टाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्।
🔷 २. नृसिंह गायत्री:- यह मंत्र पुरषार्थ एवं पराक्रम की बृद्धि होती है।
ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।
🔶 ३. विष्णु गायत्री:- यह पारिवारिक कलह को समाप्त करता है।
ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।
🔷 ४. शिव गायत्री:- यह कल्याण करने में अदूतीय है।
ॐ पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
🔶 ५. कृष्ण गायत्री:- यह मंत्र कर्म क्षेत्र की सफलता हेतु इसका जप आवश्यक है।
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।
🔷 ६. राधा गायत्री:- यह मंत्र प्रेम का अभाव दूर होकर, पूर्णता को पहुचता है।
ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।
🔶 ७. लक्ष्मी गायत्री:- यह मंत्र पद प्रतिष्ठा, यश ऐश्वर्य और धन Sसम्पति की प्राप्ति होती है।
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।
🔷 ८. अग्नि गायत्री:- यह मंत्र इंद्रियों की तेजस्विता बढ़ती है।
ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्नि: प्रचोदयात्।
🔶 ९. इन्द्र गायत्री:- यह मंत्र दुश्मनों है हमले से बचाता है।
ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्र: प्रचोदयात्।
🔷 १०. सरस्वती गायत्री:- यह मंत्र ज्ञान बुद्धि की वृद्धि होती है एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है।
ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।
🔶 ११. दुर्गा गायत्री:- यह मंत्र से दुखः और पीड़ानही रहती है।शत्रु नाश, विघ्नों पर विजय मिलती है।
ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।
🔷 १२. हनुमान गायत्री:- यह मंत्र कर्म के प्रति निष्ठा की भावना जागृत होती हैं।
ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।
🔶 १३. पृथ्वी गायत्री:- यह मंत्र दृढ़ता, धैर्य और सहिष्णुता की वृद्धि होती है।
ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्त्रमूत्यै धीमहि। तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्।
🔷 १४. सूर्य गायत्री:- यह मंत्र शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।
🔶 १५. राम गायत्री:- यह मंत्र इससे मान प्रतिष्ठा बढती है।
ॐ दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो राम: प्रचोदयात्।
🔷 १६. सीता गायत्री:- यह मंत्र तप की शक्ति में वृद्धि होती है।
ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात्।
🔶 १७. चन्द्र गायत्री:- यह मंत्र निराशा से मुक्ति मिलती है और मानसिकता प्रवल होती है।
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्।
🔷 १८. यम गायत्री:- यह मंत्र इससे मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है।
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि। तन्नो यम: प्रचोदयात्।
🔶 १९. ब्रह्मा गायत्री:- यह मंत्र व्यापारिक संकटो को दूर करता है।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि। तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।
🔷 २०. वरुण गायत्री:- यह मंत्र प्रेम भावना जागृत होती है, भावनाओ का उदय होता हैं।
ॐ जलबिम्वाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि। तन्नो वरुण: प्रचोदयात्।
🔶 २१. नारायण गायत्री:- यह मंत्र प्रशासनिक प्रभाव बढ़ता है।
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो नारायण: प्रचोदयात्।
🔷 २२. हयग्रीव गायत्री:- यह मंत्र समस्त भयो का नाश होता है।
ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि। तन्नो हयग्रीव: प्रचोदयात्।
🔶 २३. हंस गायत्री:- यह मंत्र विवेक शक्ति का विकाश होता है,बुद्धि प्रखर होती है।
ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।
🔷 २४. तुलसी गायत्री:- परमार्थ भावना की उत्त्पति होती है।
ॐ श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।
🔶 गायत्री साधना का प्रभाव तत्काल होता है जिससे साधक को आत्मबल प्राप्त होता है और मानसिक कष्ट में तुरन्त शान्ति मिलती है। इस महामन्त्र के प्रभाव से आत्मा में सतोगुण बढ़ता है।
🔷 गायत्री की महिमा के सम्बन्ध में क्या कहा जाए। ब्रह्म की जितनी महिमा है, वह सब गायत्री की भी मानी जाती हैं। वेदमाता गायत्री से यही विनम्र प्रार्थना है कि वे दुर्बुद्धि को मिटाकर सबको सद्बुद्धि प्रदान करें।