🔴 शक्तिशाली आत्म संकेत में अद्भुत शक्ति है। जिन विचारों के संपर्क में हम रहते हैं, जिनमें पुनः पुनः रमण करते हैं वैसे ही बन जाते हैं। ये संकेत हमारे मानसिक संस्थान के एक अंग बन जाते हैं। प्रकाशमय विचार धारा से कंटकाकीर्ण और अन्धकारमय पथ भी आलोकित हो उठता है। जब आप दृढ़ता से कहते हैं, ‘मैं बलवान हूँ, दृढ़ संकल्प हूँ, गौरवशाली हूँ।” तो इन विचारों से हमारा आत्म विश्वास जागृत हो उठता है। हम साहस और पौरुष से भर जाते हैं और आत्म गौरव को समझने लगते हैं। हमारी शक्तियाँ वैसा ही काम करती हैं जैसी हम उन्हें आज्ञा देते हैं।
🔵 आत्म विश्वास पाने के लिए सफलता जादू जैसा प्रभाव डालती है। एक सफलता से मनुष्य दूसरी सफलता के लिए प्रेरणा पाता है। आप पहले एक साधारण कार्य चुन लीजिए और दृढ़ता से उसे पूर्ण कीजिए। जब यह पूर्ण हो जाय, तो अधिक बड़ा काम हाथ में लीजिए। इसे पूरा करके ही छोड़िए। तत्पश्चात् अधिक बड़े और दीर्घकालीन अपेक्षाकृत कष्ट साध्य कार्य हाथ में लीजिए और अपनी समस्त शक्ति से उसे पूर्ण कीजिए।
🔴 आपका मन कर्त्तव्य से, कठोर मेहनत से दूर भागेगा, उस कार्य को बीच में ही छोड़ने की ओर प्रवृत्त होगा। इस पलायन प्रवृत्ति से आपको सावधान रहना होगा। मन से लगातार लड़ना चाहिए और जब यह निश्चित मार्ग से च्युत होना चाहे, तुरन्त सावधानी से कार्य लेना चाहिए। कभी आपको आलस्य आयेगा, अपना कार्य मध्य ही में छोड़ देने को जी करेगा, लालच मार्ग में दिखलाई देंगे लेकिन आप छोटे लाभ के लिए बड़े फायदे को मत छोड़िए। भूल कर भी चञ्चल मन के कहने में मत आइए, प्रत्युत विवेक को जागृत कर उसके संरक्षण में अपने आपको रखिए। जाग्रत समय में मन को निरन्तर कार्य में लगाये रखिए। जब तक जागते हैं किसी उत्तम कार्य में अपने आपको संलग्न रखें, तत्पश्चात् सोयें। सुप्तावस्था में भी आप मन की चञ्चलता से दूर रह सकेंगे। धीरे धीरे धैर्य पूर्वक अभ्यास से मन चंचलता दूर होती है।
🌹 ~पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🔵 आत्म विश्वास पाने के लिए सफलता जादू जैसा प्रभाव डालती है। एक सफलता से मनुष्य दूसरी सफलता के लिए प्रेरणा पाता है। आप पहले एक साधारण कार्य चुन लीजिए और दृढ़ता से उसे पूर्ण कीजिए। जब यह पूर्ण हो जाय, तो अधिक बड़ा काम हाथ में लीजिए। इसे पूरा करके ही छोड़िए। तत्पश्चात् अधिक बड़े और दीर्घकालीन अपेक्षाकृत कष्ट साध्य कार्य हाथ में लीजिए और अपनी समस्त शक्ति से उसे पूर्ण कीजिए।
🔴 आपका मन कर्त्तव्य से, कठोर मेहनत से दूर भागेगा, उस कार्य को बीच में ही छोड़ने की ओर प्रवृत्त होगा। इस पलायन प्रवृत्ति से आपको सावधान रहना होगा। मन से लगातार लड़ना चाहिए और जब यह निश्चित मार्ग से च्युत होना चाहे, तुरन्त सावधानी से कार्य लेना चाहिए। कभी आपको आलस्य आयेगा, अपना कार्य मध्य ही में छोड़ देने को जी करेगा, लालच मार्ग में दिखलाई देंगे लेकिन आप छोटे लाभ के लिए बड़े फायदे को मत छोड़िए। भूल कर भी चञ्चल मन के कहने में मत आइए, प्रत्युत विवेक को जागृत कर उसके संरक्षण में अपने आपको रखिए। जाग्रत समय में मन को निरन्तर कार्य में लगाये रखिए। जब तक जागते हैं किसी उत्तम कार्य में अपने आपको संलग्न रखें, तत्पश्चात् सोयें। सुप्तावस्था में भी आप मन की चञ्चलता से दूर रह सकेंगे। धीरे धीरे धैर्य पूर्वक अभ्यास से मन चंचलता दूर होती है।
🌹 ~पं श्रीराम शर्मा आचार्य