चेहरे के सौन्दर्य को देखकर अनेक लोग प्रभावित होते हैं। पर नम्रता भी सौन्दर्य से किसी प्रकार कम आकर्षक और प्रभावोत्पादक नहीं है। नम्रता और सज्जनता के गुण जिसमें हैं, जो सदा मुस्कराता रहता है वह जहाँ कहीं जायेगा अपने लिए स्थान बना लेगा। इस चिन्ता और परेशानी से भरी हुई दुनियाँ में ऐसे लोगों की हर जगह माँग है जो अपने उत्तम स्वभाव के कारण दूसरों की व्यथा में थोड़ी कमी कर सकें, उन्हें अपनी प्रसन्नता और सज्जनता से कुछ मानसिक शान्ति प्रदान कर सकें।
कुरूपता कोई दोष नहीं है। नम्र और हँसमुख रहने से कुरूपता का दोष दूर किया जा सकता है। घमंडी चिड़चिड़ा स्वार्थी और कटुवादी कोई स्त्री या पुरुष चाहे कितना ही सुन्दर क्यों न हो कुछ ही देर में घृणास्पद बन जायेगा-चाहे वह कितना ही सुन्दर क्यों न दिखता हो। इसके विपरीत कुरूप व्यक्ति में भी यदि सौजन्य की समुचित मात्रा मौजूद है तो वह अपने लिए आदर और बड़प्पन प्राप्त करके रहेगा। कहते हैं कि द्रौपदी स्याह काली थी। इसी से उसे ‘कृष्ण’ भी कहते थे जिसका अर्थ है-कलूटी फिर भी उसके गुणों पर मुग्ध होकर पाण्डव उसका भारी आदर करते थे और राजमहल की बहुत सी व्यवस्था वही संभालती थी।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
कुरूपता कोई दोष नहीं है। नम्र और हँसमुख रहने से कुरूपता का दोष दूर किया जा सकता है। घमंडी चिड़चिड़ा स्वार्थी और कटुवादी कोई स्त्री या पुरुष चाहे कितना ही सुन्दर क्यों न हो कुछ ही देर में घृणास्पद बन जायेगा-चाहे वह कितना ही सुन्दर क्यों न दिखता हो। इसके विपरीत कुरूप व्यक्ति में भी यदि सौजन्य की समुचित मात्रा मौजूद है तो वह अपने लिए आदर और बड़प्पन प्राप्त करके रहेगा। कहते हैं कि द्रौपदी स्याह काली थी। इसी से उसे ‘कृष्ण’ भी कहते थे जिसका अर्थ है-कलूटी फिर भी उसके गुणों पर मुग्ध होकर पाण्डव उसका भारी आदर करते थे और राजमहल की बहुत सी व्यवस्था वही संभालती थी।
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