बुधवार, 23 नवंबर 2016
👉 सफल जीवन के कुछ स्वर्णिम सूत्र (भाग 13) 24 Nov
🌹 *प्रगति की महत्वपूर्ण कुंजी : नियमितता*
🔵 भारत के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाभिकीय भौतिक विज्ञानी डा. मेघनाद साहा ने अपने जीवन क्रम का सुनियोजन इसी ढंग से किया। ढाका से 75 किलोमीटर दूर सियोराताली गांव में एक दुकानदार के घर जन्मे बालक साहा अपने पिता की आठ सन्तानों में से एक थे। घर की आर्थिक समस्या के कारण उन्हें पिता का सहयोग करना पड़ता था। घर के अन्यान्य कार्यों को करते हुए अध्ययन की नियमितता में उन्होंने कोई कमी नहीं की। अध्ययन की व्यस्तता के साथ-साथ उन्होंने देश सेवा का भी समय निर्वाह किया।
🔴 आर.एस. एण्डरसन ने अपनी पुस्तक ‘‘बिल्डिंग आफ साइन्टिफिक इन्स्टीट्यूशन्स इन इण्डिया’’ में उनके बारे में लिखते हुए बताया कि डा. साहा का प्रत्येक कार्य योजनाबद्ध रीति से सुनियोजित क्रम से होता है। किसी भी कार्य को हाथ में लेकर वे उसे नियमित रूप से करते और भली प्रकार सम्पन्न करते हैं। इसी के कारण उन्होंने अपने जीवन में विविध सफलतायें पायीं और उस समय के मूर्धन्य भौतिक विदों आइन्स्टीन, सोमरफील्ड, मैक्स फ्लेक आदि के द्वारा सम्मानित हुए। उन्हें रायल सोसायटी का सभासद भी मनोनीत किया गया।
🔵 नियमितता ही वह महामंत्र है, जिसको अपनाकर कोई भी अपने जीवन को समग्र रूप से विकसित करने, प्रगति-समृद्धि के उच्च शिखर पर आरूढ़ होने का सुयोग-सौभाग्य प्राप्त कर सकता है। यह गुण दीखने में भले ही छोटा लगे, पर प्रभाव और परिणाम की दृष्टि से इसका महत्व सर्वाधिक है। इसे अपनाने और व्यावहारिक जीवन में क्रियान्वित करने में ही सही माने में जीवन की सार्थकता है।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 *पं श्रीराम शर्मा आचार्य*
🔵 भारत के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाभिकीय भौतिक विज्ञानी डा. मेघनाद साहा ने अपने जीवन क्रम का सुनियोजन इसी ढंग से किया। ढाका से 75 किलोमीटर दूर सियोराताली गांव में एक दुकानदार के घर जन्मे बालक साहा अपने पिता की आठ सन्तानों में से एक थे। घर की आर्थिक समस्या के कारण उन्हें पिता का सहयोग करना पड़ता था। घर के अन्यान्य कार्यों को करते हुए अध्ययन की नियमितता में उन्होंने कोई कमी नहीं की। अध्ययन की व्यस्तता के साथ-साथ उन्होंने देश सेवा का भी समय निर्वाह किया।
🔴 आर.एस. एण्डरसन ने अपनी पुस्तक ‘‘बिल्डिंग आफ साइन्टिफिक इन्स्टीट्यूशन्स इन इण्डिया’’ में उनके बारे में लिखते हुए बताया कि डा. साहा का प्रत्येक कार्य योजनाबद्ध रीति से सुनियोजित क्रम से होता है। किसी भी कार्य को हाथ में लेकर वे उसे नियमित रूप से करते और भली प्रकार सम्पन्न करते हैं। इसी के कारण उन्होंने अपने जीवन में विविध सफलतायें पायीं और उस समय के मूर्धन्य भौतिक विदों आइन्स्टीन, सोमरफील्ड, मैक्स फ्लेक आदि के द्वारा सम्मानित हुए। उन्हें रायल सोसायटी का सभासद भी मनोनीत किया गया।
🔵 नियमितता ही वह महामंत्र है, जिसको अपनाकर कोई भी अपने जीवन को समग्र रूप से विकसित करने, प्रगति-समृद्धि के उच्च शिखर पर आरूढ़ होने का सुयोग-सौभाग्य प्राप्त कर सकता है। यह गुण दीखने में भले ही छोटा लगे, पर प्रभाव और परिणाम की दृष्टि से इसका महत्व सर्वाधिक है। इसे अपनाने और व्यावहारिक जीवन में क्रियान्वित करने में ही सही माने में जीवन की सार्थकता है।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 *पं श्रीराम शर्मा आचार्य*
👉 मैं क्या हूँ? What Am I? (भाग 37)
🌞 तीसरा अध्याय
🔴 हे साधक! अपनी आत्मा का अनुभव प्राप्त करने में सफल होओ और समझो कि तुम सोते हुए देवता हो। अपने भीतर प्रकृति की महान सत्ता धारण किए हुए हो, जो कार्यरूप में परिणत होने के लिए हाथ बाँधकर खड़ी हुई आज्ञा माँग रही है। इस स्थान तक पहुँचने में बहुत कुछ समय लगेगा। पहली मंजिल तक पहुँचने में भी कुछ देर लगेगी, परन्तु आध्यात्मिक विकास की चेतना में प्रवेश करते ही आँखें खुल जायेंगी। आगे का प्रत्येक कदम साफ होता जायेगा और प्रकाश प्रकट होता जायेगा।
🔵 इस पुस्तक के अगले अध्याय में हम यह बताएँगे कि आपकी विशुद्घ आत्मा भी स्वतंत्र नहीं, वरन् परमात्मा का ही एक अंश है और उसी में किस प्रकार ओत-प्रोत रही है? परन्तु उस ज्ञान को ग्रहण करने से पूर्व तुम्हें अपने भीतर 'अहम्' की चेतना जगा लेनी पड़ेगी। हमारी इस शिक्षा को शब्द-शब्द और केवल शब्द समझकर उपेक्षित मत करो, इस निर्बल व्याख्या को तुच्छ समझकर तिरस्कृत मत करो, यह एक बहुत सच्ची बात बताई जा रही है। तुम्हारी आत्मा इन पंक्तियों को पढ़ते समय आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होने की अभिलाषा कर रही है। उसका नेतृत्व ग्रहण करो और आगे को कदम उठाओ।
🔴 अब तक बताई हुई मानसिक कसरतों का अभ्यास कर लेने के बाद 'अहम्' से भिन्न पदार्थों का तुम्हें पूरा निश्चय हो जाएगा। इस सत्य को ग्रहण कर लेने के बाद अपने को मन और वृत्तियों का स्वामी अनुभव करोगे और तब उन सब चीजों को पूरे बल और प्रभाव के साथ काम में लाने की सामर्थ्य प्राप्त कर लोगे।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 *पं श्रीराम शर्मा आचार्य*
http://hindi.awgp.org/gayatri/AWGP_Offers/Literature_Life_Transforming/Books_Articles/mai_kya_hun/part3.3
🔴 हे साधक! अपनी आत्मा का अनुभव प्राप्त करने में सफल होओ और समझो कि तुम सोते हुए देवता हो। अपने भीतर प्रकृति की महान सत्ता धारण किए हुए हो, जो कार्यरूप में परिणत होने के लिए हाथ बाँधकर खड़ी हुई आज्ञा माँग रही है। इस स्थान तक पहुँचने में बहुत कुछ समय लगेगा। पहली मंजिल तक पहुँचने में भी कुछ देर लगेगी, परन्तु आध्यात्मिक विकास की चेतना में प्रवेश करते ही आँखें खुल जायेंगी। आगे का प्रत्येक कदम साफ होता जायेगा और प्रकाश प्रकट होता जायेगा।
🔵 इस पुस्तक के अगले अध्याय में हम यह बताएँगे कि आपकी विशुद्घ आत्मा भी स्वतंत्र नहीं, वरन् परमात्मा का ही एक अंश है और उसी में किस प्रकार ओत-प्रोत रही है? परन्तु उस ज्ञान को ग्रहण करने से पूर्व तुम्हें अपने भीतर 'अहम्' की चेतना जगा लेनी पड़ेगी। हमारी इस शिक्षा को शब्द-शब्द और केवल शब्द समझकर उपेक्षित मत करो, इस निर्बल व्याख्या को तुच्छ समझकर तिरस्कृत मत करो, यह एक बहुत सच्ची बात बताई जा रही है। तुम्हारी आत्मा इन पंक्तियों को पढ़ते समय आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होने की अभिलाषा कर रही है। उसका नेतृत्व ग्रहण करो और आगे को कदम उठाओ।
🔴 अब तक बताई हुई मानसिक कसरतों का अभ्यास कर लेने के बाद 'अहम्' से भिन्न पदार्थों का तुम्हें पूरा निश्चय हो जाएगा। इस सत्य को ग्रहण कर लेने के बाद अपने को मन और वृत्तियों का स्वामी अनुभव करोगे और तब उन सब चीजों को पूरे बल और प्रभाव के साथ काम में लाने की सामर्थ्य प्राप्त कर लोगे।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 *पं श्रीराम शर्मा आचार्य*
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