जंगल के सभी खरगोशों ने एक दिन सभा बुलाई। बैठक में सभी को अपनी समस्याएं बतानी थीं। सभी खरगोश बहुत दुखी थे। सबसे पहले सोनू खरगोश ने बोलना शुरू किया कि जंगल में जितने भी जानवर रहते हैं, उनमें खरगोश सबसे कमज़ोर हैं।
सोनू बोल रहा था, “शेर, बाघ, चीता, भेड़िया, हाथी सब हमसे अधिक शक्तिशाली हैं। सबसे कोई न कोई डरता है, लेकिन हमसे कोई नहीं डरता।” सोनू की बात सुन कर चीकू खरगोश तो रोने ही लगा। उसने रोते हुए कहा कि खरगोशों की ऐसी दुर्दशा देख कर तो अब जीने का मन ही नहीं करता।
बात सही थी। खरगोश से कोई नहीं डरता था। उन्हें लगने लगा था कि संसार में उनसे कमज़ोर कोई और नहीं। ऐसे में तय हुआ कि कल सुबह सारे खरगोश एक साथ नदी के किनारे तक जाएंगे और सारे के सारे नदी में डूब कर जान दे देंगे। ऐसी ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है।
सुबह सारे खरगोश इकट्ठा हुए और पहुंच गए नदी के किनारे। जैसे ही वो नदी के किनारे पहुंचे, उन्होंने देखा कि वहां बैठे मेंढ़क खरगोशों को देख कर डर के मारे फटाफट नदी में कूदने लगे।
उन्हें ऐसा करते देख खरगोश वहीं रुक गए। वो समझ गए कि मेंढ़क उनसे डर रहे हैं। बस फिर क्या था, मरना कैंसिल हो गया।
सोनू खरगोश ने वहीं एक सभा की और सभी खरगोशों को बताया कि भाइयों हमें हिम्मत से काम लेना चाहिए। इस संसार में कोई ऐसा भी है, जो हमसे भी कमज़ोर है। ऐसे में अगर हमारे पास दुखी होने की कई वज़हें हैं तो खुश होने की भी एक वज़ह तो है ही।
चीकू खरगोश ने भी कहा कि हां, हमें हिम्मत नहीं छोड़नी चाहिए। हम कमज़ोर हैं, ये सोच कर हमें दुखी होने की जगह ये सोच कर हमें खुश होना चाहिए कि हम सबसे अधिक खूबसूरत हैं और हम जंगल में किसी भी जानवर की तुलना में अधिक तेज़ गति से दौड़ सकते हैं। फिर सारे खरगोश खुशी-खुशी जंगल में लौट आए।
शिक्षा/संदेश :-
“ज़िंदगी में बेशक आपके सामने हज़ार-पांच सौ मुश्किलें होंगी लेकिन आप दुनिया को दिखा दीजिए कि अब आपके पास मुस्कुराने की दो हज़ार वज़हें हैं।”