जरमी टेलर कहते हैं -”जीवन एक बाजी के समान है। हार-जीत तो हमारे हाथ में नहीं है, पर बाजी का ठीक तरह से खेलना हमारे हाथ में है। यह बाजी हमें बड़ी समझदारी से, छोटी-छोटी भूलों से बचाते हुए निरन्तर आत्म विकास और मनोवेगों का परिष्कार करते हुए करनी चाहिए।”
डॉक्टर आर्नल्ड ने लिखा है - “इस जगत में सबसे बड़ी तारीफ की बात यह है कि जिन लोगों में स्वभाविक शक्ति की न्यूनता रहती है, यदि वे उसके लिए सच्चा साधन और अभ्यास करें, तो परमेश्वर उन पर अनुग्रह करता है।” बक्सटन ने भी निर्देश किया है - “युवा पुरुष बहुत से अंशों में जो होना चाहें, हो सकते हैं।” एटी शेकर ने कहा है- “जीवन में शारीरिक और मानसिक परिश्रम के बिना कोई फल नहीं मिलता। दृढ़ चित्त और महान् उद्देश्य वाला मनुष्य जो चाहे कर सकता है।”
प्रतिभा की वृद्धि कीजिए। आपको नौकरी, रुपया, पैसा, प्रतिष्ठा और आत्म सम्मान प्राप्त होगा। उसके अभाव में आप निखट्टू बने रहेंगे। प्रतिभा आपके दीर्घकालीन अभ्यास, सतत परिश्रम, अव्यवसाय, उत्तम स्वास्थ्य पर निर्भर है। प्रतिभा हम अभ्यास और साधन से प्राप्त करते हैं। मनुष्य की प्रतिभा स्वयं उसी के संचित कर्मों का फल है। अवसर को हाथ से न जाने दें, प्रत्येक अवसर का सुँदर उपयोग करें और दृढ़ता, आशा और धीरता के साथ उन्नति के पथ पर अग्रसर होते जायें। स्व संस्कार का कार्य इसी तरह सम्पन्न होगा।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जनवरी 1951 पृष्ठ 25
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1951/January/v1.25
डॉक्टर आर्नल्ड ने लिखा है - “इस जगत में सबसे बड़ी तारीफ की बात यह है कि जिन लोगों में स्वभाविक शक्ति की न्यूनता रहती है, यदि वे उसके लिए सच्चा साधन और अभ्यास करें, तो परमेश्वर उन पर अनुग्रह करता है।” बक्सटन ने भी निर्देश किया है - “युवा पुरुष बहुत से अंशों में जो होना चाहें, हो सकते हैं।” एटी शेकर ने कहा है- “जीवन में शारीरिक और मानसिक परिश्रम के बिना कोई फल नहीं मिलता। दृढ़ चित्त और महान् उद्देश्य वाला मनुष्य जो चाहे कर सकता है।”
प्रतिभा की वृद्धि कीजिए। आपको नौकरी, रुपया, पैसा, प्रतिष्ठा और आत्म सम्मान प्राप्त होगा। उसके अभाव में आप निखट्टू बने रहेंगे। प्रतिभा आपके दीर्घकालीन अभ्यास, सतत परिश्रम, अव्यवसाय, उत्तम स्वास्थ्य पर निर्भर है। प्रतिभा हम अभ्यास और साधन से प्राप्त करते हैं। मनुष्य की प्रतिभा स्वयं उसी के संचित कर्मों का फल है। अवसर को हाथ से न जाने दें, प्रत्येक अवसर का सुँदर उपयोग करें और दृढ़ता, आशा और धीरता के साथ उन्नति के पथ पर अग्रसर होते जायें। स्व संस्कार का कार्य इसी तरह सम्पन्न होगा।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जनवरी 1951 पृष्ठ 25
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1951/January/v1.25