शनिवार, 12 मार्च 2016


वह प्रकाश तब तक अन्तर में बना रहेगा जब तक ऐसी गुदगुदी बनी रहेगी जो मनोरथ पूरा न होने पर भी उस उपलब्धि जैसा ही उल्लास बनाये रहे। यह उज्ज्वल सपनों का आनन्द जब अभ्यास में आता है तब इतना मधुर होता है कि उसे बनाये रखने के लिये कठिन से कठिन कर गुजरने की हिम्मत की जा सके।

मुसीबतें और असफलताएं सिर्फ यह जानने के लिये आती हैं कि व्यक्ति किस हद तक साहस सँजोये रह सकता है। जिन्होंने हर कठिनाई को एक चुनौती माना उसके लिए इस संसार में कोई अवरोध नहीं, छात्रों को आये दिन अध्यापक के पूछे प्रश्नों को हल करना पड़ता है। तभी उसे उत्तीर्ण होने की प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। अवरोध एक प्रकार का अध्यापक है जो प्रतिभा को विकसित करने के लिये उत्तेजना प्रदान करता है और चिर स्मरणीय सफलता वरण कर सकने की क्षमता से सुसम्पन्न बनाता है। जो कठिनाई के दिनों में आशावादी रह सका, समझना चाहिए पुरुषार्थी महामानवों की पंक्ति में उसी का अभिषेक किया जाने वाला है।

बड़ी सफलताएं इस बात की अपेक्षा करती हैं कि व्यक्ति में धैर्यपूर्वक देर तक कठिन परिश्रम करते रहने की क्षमता हो। ऐसी मनः स्थिति उसी की हो सकती है जिसने आशावाद को अपने स्वभाव का अंग बना लिया हो। छुई-मुई की तरह जरा-सी कठिनाई आने पर जो मुरझा जाते हैं, अवरोधों को राई न मानकर जो पर्वत समझते हैं, उनके लिये अपना मानसिक सन्तुलन बनाये रहना ही एक समस्या है, अपने आपको सँभाल सकना ही जिनके लिए भार बना हुआ है, उनके लिये सफलता के लिये जितनी शक्ति आवश्यक है उतनी जुटा सकना किसी भी प्रकार सम्भव न हो सकेगा और वे हर काम में हर बार असफल ही होते रहेंगे। आशा रहित जीवन एक प्रकार से निर्जीव ही कहा जा सकता है।

समाप्त
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1972 पृष्ठ 52
http://literature.awgp.org/magazine/AkhandjyotiHindi/1972/October.52

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