बुधवार, 16 मार्च 2016

सतत पुरुषार्थी ही पहुँचते है शिखर पर 
 

एक बार एक नगर मे एक राजा के दरबार मे किसी ने ये प्रश्न रखा की भाग्य ही सबकुछ है या कर्म का भी कोई मूल्य है! किसी ने कहा की जो भाग्य मे है वही मिलता है तो किसी ने कहा नही मनुष्य अपने पुरुषार्थ द्वारा वो भी हासिल कर सकता है जो भाग्य मे नही है !

अनेक तरह का वाद विवाद हुआ कोई हल न निकला तो राजा राजगुरु के पास गये और राजगुरु ने कहा की हॆ राजन आपके प्रश्न का उत्तर देने की पुरी पुरी कोशिश करेंगे आगे हरी ईच्छा! राजा और राजगुरु ने गुप्त मंत्रणा की और दो तरह के लोगो के दो दल बनाये! और उन दोनो दलों को दस दस बीघा ज़मीन दी और कुछ समय दिया गया और कहा की निश्चित समय मे जो इस जमीन से जितनी उपज पैदा करेगा उसे विशेष पारितोषिक दिया जायेगा!

दोनो ही तैयारी मे जुट गये अब एक दल ने भविष्य को ध्यान मे रखते हुये फसल के पानी के लिये सभी ने मिलकर एक कुआँ खोदा और दुसरे दल ने सोचा की बरसात के पानी से काम चला लेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो इनका कुआँ तो है ही ना इससे काम चला लेंगे! और कुछ दिनो बाद बारिश पुरी नही हुई तो एक की फसल कमजोर पड़ने लगी अब वो सभी बड़े दुःखी रहने लगे रातों की नींद और दिन का चेन चला गया! और उधर दुसरे दल ने बरसात न होने पर भी पुरी मेहनत से जो कुआँ खोदा था उसके पानी से फसल को बर्बाद होने से बचा लिया!

निश्चित अवधि के बाद दोनो ही दल राजदरबार मे पहुँचे राजा और राजगुरु ने पुरी दास्तान सुनी! और फिर राजगुरु ने एक दल को पारितोषिक दिया और दुसरे दल को पास बुलाकर प्रेम से समझाया की आप जानते हो की आपके दुखों का वास्तविक कारण क्या है तो उन्होने कहा की क्या कारण है देव? तो राजगुरु ने कहा मुफ्त की चाह ही आपके दुखों का और अशान्ति का सबसे बड़ा कारण है!

त्यागो मुफ्त की चाह को और बनो कर्मवीर क्योंकि कर्मवीर ही पहुँचते है लक्ष्य तक वही पाते है सच्चा आनन्द और आत्मशान्ति! भाग्य के भरोसे रहोगे तो जो है वह भी चला जायेगा और कर्मवादी बनोगे तो जो नही है वो भी मिलेगा!

तब उन्होने इस पर गहराई से मनन किया और कहा की हॆ परम आदरणीय राजगुरु आपने हमारी बँद आँखो को खोल दिया है यदि हमने भी कुआँ खोदा होता तो हमारी फसल बच जाती!

यदि हम पुरुषार्थी नही बनेंगे तो हाथ मे आया हुआ भी चला जायेगा! एक नियमित साधना का एक कुआँ खोदो और जीवन रूपी इस फसल को बनाओ और निर्माण करो इस जीवन का ताकि आगे जाकर ये फसल लहरा सके!

जो सतत प्रयासरत्त है पुरुषार्थी है उसकी फसल की रक्षा स्वयं सद्गुरु और स्वयं नारायण करेंगे! और जो केवल भाग्य के भरोसे रहेंगे वो यहाँ तो शायद कुछ पा लेंगे पर आगे वंचित रह जायेंगे इसलिये प्रबल पुरुषार्थी बनो !!

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

ईश्वर उन्हीं की सहायता करकरते हैं जो खुद ककर्मशील है ।

My Product Guide ने कहा…

http://jeetchintan.blogspot.in/

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 4 Jan 2025

👉 शांतिकुंज हरिद्वार के Youtube Channel `Shantikunj Rishi Chintan` को आज ही Subscribe करें।  ➡️    https://bit.ly/2KISkiz   👉 शान्तिकुं...