🔷 आधार उसे कहते हैं, जिसके सहारे कुछ स्थिर रह सके, कुछ टिक सके। हम चारों ओर जो गगनचुम्बी इमारत देखते हैं, उनके आधार पर नींव के पत्थर होते हैं।
🔶 बिना आधार के सनातन धर्म भी नहीं है। सनातन धर्म का अपना एक मजबूत आधार है, जिसके ऊपर उसकी भित्ति हजारों वर्षों से मजबूती से खड़ी हुई है
🔷 वह आधार क्या है ? वह आधार है - 'सर्वभूत हितरेता: इसे दूसरे शब्दों में ऎसा भी कह सकते हैं कि सृष्टि के सम्पूर्ण जड़ - चेतन में अपनी आत्मा का दर्शन करना। अपने समान ही सबको मानना।
✍🏻 पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 धर्म तत्त्व का धर्षण और मर्म वांग्मय 53 पृष्ठ 1.13
🔶 बिना आधार के सनातन धर्म भी नहीं है। सनातन धर्म का अपना एक मजबूत आधार है, जिसके ऊपर उसकी भित्ति हजारों वर्षों से मजबूती से खड़ी हुई है
🔷 वह आधार क्या है ? वह आधार है - 'सर्वभूत हितरेता: इसे दूसरे शब्दों में ऎसा भी कह सकते हैं कि सृष्टि के सम्पूर्ण जड़ - चेतन में अपनी आत्मा का दर्शन करना। अपने समान ही सबको मानना।
✍🏻 पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 धर्म तत्त्व का धर्षण और मर्म वांग्मय 53 पृष्ठ 1.13
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