बुधवार, 13 सितंबर 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 13 Sep 2023

सचाई मनुष्य-जीवन की सबसे बड़ी सार्थकता है। इसके अभाव में जीवन हर ओर से कंटकाकीर्ण हो जाता है। क्या वैयक्तिक, क्या सामाजिक और क्या राष्ट्रीय। हर क्षेत्र में सचाई का बहुत अधिक महत्व है। व्यक्तिगत जीवन में मिथ्याचारी किसी प्रकार की आत्मिक उन्नति प्राप्त नहीं कर सकता, सामाजिक जीवन में अविश्वास एवं असम्मान का भागी बनता है और राष्ट्रीय जीवन में तो वह एक आपत्ति ही माना जाता है।

संसार का एक अंग होने से मनुष्य का जीवन भी परिवर्तनशील है। बचपन, जवानी, बुढ़ापा आदि का परिवर्तन। तृषा तृप्ति, काम, आराम, निद्रा, जागरण तथा जीवन-मरण के अनेक परिवर्तन मानव जीवन से जुड़े हुए हैं। इसी प्रकार सफलता-असफलता तथा सुख-दुःख भी इसी परिवर्तनशील मानव जीवन के एक अभिन्न अंग हैं। परिवर्तन जीवन का चिन्ह है। अपरिवर्तन जड़ता का लक्षण है। जो जीवित है, उसमें परिवर्तन आयेगा ही। इस परिवर्तन में ही रुचि का भाव रहता है। एकरसता हर क्षेत्र में ऊब और अरुचि उत्पन्न कर देती है।

बिना कठिनाइयों के मनुष्य का पुरुषार्थ नहीं खिलता, उसके आत्म-बल का विकास नहीं होता उसके साहस और परिश्रम के पंख नहीं लगते उसकी कार्य क्षमता का विकास नहीं होता। यदि कठिनाइयां न आवें तो मनुष्य साधारण रूप से रेलगाड़ी के पहिये की तरह निरुत्साह के साथ ढुलकता चला जाये। उसकी अलौकिक शक्तियों, उसकी दिव्य क्षमताओं, उसकी अद्भुत बुद्धि और शक्तिशाली विवेक के चमत्कारों को देखने का अवसर ही न मिले। उसकी सारी विलक्षणताएं अद्भुत कलायें और विस्मयकारक योग्यताएँ धरती के गर्भ में पड़े रत्नों की तरह की पड़ी-पड़ी निरुपयोगी हो जातीं।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य


👉 खिन्न मत हूजिए

आपको गरीबी ने घेर रखा है पैसे का अभाव रहता है, आवश्यक खर्चों की जरूरतें पूरी नहीं होतीं, आप दुखी रहते हैं, पर हम पूछते हैं कि क्या दुखी रहने से आपकी दरिद्रता दूर हो जाएगी? क्या इससे अधिक आमदनी होने लगेगी? अगर आप समझते हैं कि ‘हाँ हो जायगी’ तो आप भूल करते हैं।

आप कम पढ़े हैं विद्या पास नहीं हैं, बीमारी ने घेर रखा है, शरीर क्षीण होता जाता है, काम बिगड़ जाते हैं, सफलता नहीं मिलती, विघ्न उपस्थित हैं, वियोग सहना पड़ रहा है, कलह रहता है, ठगी और विश्वासघात का सामना करना पड़ता है। अत्याचार और उत्पीड़न के शिकार हैं या ऐसे ही किसी कारण वश आप खिन्न हो रहे हैं, चित्त उदास रहता है, चिन्ता सताती है, संसार त्यागने की इच्छा होती है, आँखों से आँसुओं की धारा बहती है। हम पूछते हैं कि क्या यही मार्ग इन दुःखद परिस्थितियों से बचने का है? क्या आप शोक संताप में डूबे रहकर इन कष्टों को हटाना चाहते हैं? क्या खिन्न रहने से दुखों का अन्त हो जाएगा?

बीते कल की अप्रिय घटनाओं पर आँसू बहाना, आने वाले कल को ठीक वैसा ही बनाना है। भूत कालीन कठिनाइयों के त्रास से इस समय भी संतप्त रहना, इसका अर्थ तो यह है कि भविष्य में भी उन्हीं बातों की पुनरावृत्ति आप चाहते हैं, इसलिए उठिये खिन्नता और उदासीनता को दूर भगा दीजिए। बीते पर रोना इससे क्या लाभ? चलिये! आने वाले कल का नये ढंग से निर्माण कीजिये। शोक, सन्ताप, चिन्ता, निराशा और उदासीनता को परित्याग करके प्रसन्नता को ग्रहण कीजिए।

उठिये, खड़े हूजिए और एक कदम आगे बढ़ाइए। प्रभु ने आपको रोने के लिए नहीं प्रसन्न रहने के उद्देश्य से यहाँ भेजा है। रूखी रोटी खाकर हँसिये और कल चुपड़ी खाने का प्रयत्न कीजिए। आज की परिस्थिति पर संतुष्ट रहिये और कल के लिये नया आयोजन कीजिए। खिन्न मत मत हूजिए, क्योंकि हम आपको एक दुख हरण गुप्त मन्त्र की दीक्षा दे रहे हैं। सुनिये! विचारिये और गाँठ बाँध लीजिए कि ‘हँसता हुआ भविष्य, हँसते हुए चेहरे का पुत्र है। जो प्रसन्न रहेगा उसे प्रसन्न रखने वाली परिस्थितियाँ भी मिलेंगी।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति फरवरी 1943 पृष्ठ 14

http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1943/February/v1.14

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...