जिन आन्दोलनों के पीछे तप नहीं होता वह कुछ समय के लिए तूफान भले ही मचा ले, पर अंत में वे असफल हो जाते हैं। जिन आत्माओं के पीछे तपस्या नहीं रहतीं वे कितनी ही चतुर, चालाक, गुणी, धनी क्यों न हो, महापुरुषों की श्रेणी में नहीं गिनी जा सकतीं। वे मनुष्य जिन्होंने मानव जाति को ऊँचा उठाया है, संसार की अशान्ति को दूर करके शान्ति की स्थापना की है, अपना नाम अमर किया है, युग प्रवाह को मोड़ा है, वे तप-शक्ति से संपन्न रहे हैं।
हमारा कर्त्तव्य है कि हम लोगों को विश्वास दिलावें कि वे सब एक ही ईश्वर की संतान हैं और इस संसार में एक ही ध्येय को पूरा करना उनका धर्म है। उनमें से प्रत्येक मनुष्य इस बात के लिए बाधित है कि वह अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए जिन्दा रहे। जीवन का ध्येय कम या ज्यादा संपन्न होना नहीं, बल्कि अपने को तथा दूसरों को सदाचारी बनाना है। अन्याय और अत्याचार जहाँ कहीं भी हों उनके विरुद्धा आन्दोलन करना एकमात्र अधिकार नहीं, धर्म है और वह भी ऐसा धर्म जिसकी उपेक्षा करना पाप है।
लोगों की आँखों से हम दूर हो सकते हैं, पर हमारी आँखों से कोई दूर न होगा। जिनकी आँखों में हमारे प्रति स्नेह और हृदय में भावनाएँ हैं, उन सबकी तस्वीरें हम अपने कलेजे में छिपाकर ले जायेंगे और उन देव प्रतिमाओं पर निरन्तर आँसुओं का अर्ध्य चढ़ाया करेंगे। कह नहीं सकते उऋण होने के लिए प्रत्युपकार का कुछ अवसर मिलेगा या नहीं, पर यदि मिला तो अपनी इस देव प्रतिमाओं को अलंकृत और सुसज्जित करने में कुछ उठा न रखेंगे। लोग हमें भूल सकते हैं, पर अपने किसी स्नेही को नहीं भूलेंगे।
हमारा कर्त्तव्य है कि हम लोगों को विश्वास दिलावें कि वे सब एक ही ईश्वर की संतान हैं और इस संसार में एक ही ध्येय को पूरा करना उनका धर्म है। उनमें से प्रत्येक मनुष्य इस बात के लिए बाधित है कि वह अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए जिन्दा रहे। जीवन का ध्येय कम या ज्यादा संपन्न होना नहीं, बल्कि अपने को तथा दूसरों को सदाचारी बनाना है। अन्याय और अत्याचार जहाँ कहीं भी हों उनके विरुद्धा आन्दोलन करना एकमात्र अधिकार नहीं, धर्म है और वह भी ऐसा धर्म जिसकी उपेक्षा करना पाप है।
लोगों की आँखों से हम दूर हो सकते हैं, पर हमारी आँखों से कोई दूर न होगा। जिनकी आँखों में हमारे प्रति स्नेह और हृदय में भावनाएँ हैं, उन सबकी तस्वीरें हम अपने कलेजे में छिपाकर ले जायेंगे और उन देव प्रतिमाओं पर निरन्तर आँसुओं का अर्ध्य चढ़ाया करेंगे। कह नहीं सकते उऋण होने के लिए प्रत्युपकार का कुछ अवसर मिलेगा या नहीं, पर यदि मिला तो अपनी इस देव प्रतिमाओं को अलंकृत और सुसज्जित करने में कुछ उठा न रखेंगे। लोग हमें भूल सकते हैं, पर अपने किसी स्नेही को नहीं भूलेंगे।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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