🔸 बुद्धि जीवन यापन के लिए साधन एकत्रित कर सकती है,गुत्थियों को सुलझा सकती है, किन्तु जीवन की उच्चतम भूमिका में नहीं पहुँचा सकती। चेतना की उच्चस्तरीय परतों तक पहुँच सकता, तो हृदय की महानता द्वारा ही सम्भव है। बुद्धि प्रधान किन्तु हृदय शून्य व्यक्ति भौतिक जीवन में कितना भी सफल क्यों न हो, किन्तु भव- सागर की चेतन परतों तक पहुँच सकने में वह असमर्थ होता है।
🔹 मनुष्य जहाँ महापुरुषों को देखता है, वहाँ उसे अपने बड़े होने का ज्ञान आ जाता है और जितना ही सच्चा इस महानता का दर्शन होता है, उतना ही निश्चित उसका महान् बन जाना होता है। महान् मन वाले लोग विचारों पर विवाद करते है, मध्यम मन वाले वस्तुओं पर तथा शुद्ध मन वाले व्यक्तियों पर बहस करते हैं।
🔸 समय ही जीवन की परिभाषा है। भक्ति- साधना द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कई बार किया जा सकता है, लेकिन गुजरा हुआ समय पुनः नहीं मिलता। अपना समस्त जीवन- क्रम एक सुनिर्धारित समय विभाजन- चक्र के अनुसार चलावें। उठने, नहाने, घूमने, जाने, कार्य करने, अध्ययन, मनन, चिन्तन, गृहकार्य आदि का एक बँधा हुआ समय हो और ठीक समय पर अपने काम में लग जाना चाहिए। पत्रों का उत्तर तत्काल दें। दिए हुए समय पर लोगों से मिलने जायें, अपने दैनिक जीवन में छोटे- छोटे कार्यों में भी नियमितता बरते, समय के पाबन्द बनें।
🔹 जीवनी शक्ति को दृढ़ता पूर्वक स्वीकार करना एवं उसका दैनंदिन जीवन में अभ्यास करना स्वस्थ रहने के लिए बहुत आवश्यक है। ईश्वर की स्वास्थ्य दायक शक्ति हर समय हर व्यक्ति- जीवधारी के शरीर, मन व आत्मा को अनुप्राणित करती रहती है। जितने, भी व्यक्ति दीर्घकाल तक जिये हैं जीवन जीने की विधा के कारण ही स्वस्थ रह पाये हैं। यदि इस सूत्र का अनुसरण किया जा सके, तो हर क्षण, हर पल उल्लास पूर्ण रीति से जिया जा सकता है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🔹 मनुष्य जहाँ महापुरुषों को देखता है, वहाँ उसे अपने बड़े होने का ज्ञान आ जाता है और जितना ही सच्चा इस महानता का दर्शन होता है, उतना ही निश्चित उसका महान् बन जाना होता है। महान् मन वाले लोग विचारों पर विवाद करते है, मध्यम मन वाले वस्तुओं पर तथा शुद्ध मन वाले व्यक्तियों पर बहस करते हैं।
🔸 समय ही जीवन की परिभाषा है। भक्ति- साधना द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कई बार किया जा सकता है, लेकिन गुजरा हुआ समय पुनः नहीं मिलता। अपना समस्त जीवन- क्रम एक सुनिर्धारित समय विभाजन- चक्र के अनुसार चलावें। उठने, नहाने, घूमने, जाने, कार्य करने, अध्ययन, मनन, चिन्तन, गृहकार्य आदि का एक बँधा हुआ समय हो और ठीक समय पर अपने काम में लग जाना चाहिए। पत्रों का उत्तर तत्काल दें। दिए हुए समय पर लोगों से मिलने जायें, अपने दैनिक जीवन में छोटे- छोटे कार्यों में भी नियमितता बरते, समय के पाबन्द बनें।
🔹 जीवनी शक्ति को दृढ़ता पूर्वक स्वीकार करना एवं उसका दैनंदिन जीवन में अभ्यास करना स्वस्थ रहने के लिए बहुत आवश्यक है। ईश्वर की स्वास्थ्य दायक शक्ति हर समय हर व्यक्ति- जीवधारी के शरीर, मन व आत्मा को अनुप्राणित करती रहती है। जितने, भी व्यक्ति दीर्घकाल तक जिये हैं जीवन जीने की विधा के कारण ही स्वस्थ रह पाये हैं। यदि इस सूत्र का अनुसरण किया जा सके, तो हर क्षण, हर पल उल्लास पूर्ण रीति से जिया जा सकता है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform
*शांतिकुंज हरिद्वार के ऑफिशल व्हाट्सएप चैनल *awgpofficial Channel* को Follow करे*
https://whatsapp.com/channel/ 0029VaBQpZm6hENhqlhg453J
https://whatsapp.com/channel/
8439014110 शांतिकुंज की गतिविधियों से जुड़ने के लिए 8439014110 पर अपना नाम लिख कर WhatsApp करें
Official Facebook Page
Official Twitter
Official Instagram
Youtube Channel Rishi Chintan
Youtube Channel Shantikunjvideo
Official Telegram