शुक्रवार, 16 जून 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 16 June 2023

🔶 अपने प्रति उच्च भावना रखिए। छोटे से छोटे काम को भी महान् भावना से करिये। बड़ी से बड़ी विपत्ति में भी निराश न होइए। आत्म विश्वास एवं आशा का प्रकाश लेकर आगे बढ़िये। जीवन के प्रति अखण्ड निष्ठा रखिए और देखिए कि आप एक स्वस्थ, सुंदर, सफल एवं दीर्घजीवन के अधिकारी बनते हैं या नहीं?

🔷 बहुत से लोग आराम के विचार से आरामशी चीजों की आवश्यकता पैदा कर लेते हैं। वे अधिक से अधिक आराम पाने के लिए नित्य नई चीजें खरीदते रहते हैं। वस्तुतः शरीर को बहुत अधिक सुविधाओं के बीच रखने से कर्मठता कम होती है, आलस्य एवं विलासिता की वृद्धि होती है। जमकर काम करने के लिए मिले हुए शरीर को पलंग पालने का अभ्यस्त बना देने वाले अकर्मण्य हो जाते हैं, शीघ्र ही उनकी शक्तियाँ कुंठित हो जाती हैं और वृत्तियाँ परावलम्बी बन जाती हैं।

🔶 मानवता का यही तकाजा है कि हम किसी से ईर्ष्या न करते हुए स्वयं अपना विकास करने का प्रयत्न करें और यथासाध्य दूसरों की उन्नति में सहायक बनकर अपने लिए भी सहायता, सहयोग तथा सहानुभूति सुरक्षित कर लें। इस प्रकार ही हम ईर्ष्या की आग से बचकर सबके साथ सुख एवं शान्ति का जीवन बिता सकेंगे।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

All World Gayatri Pariwar Official  Social Media Platform

Shantikunj WhatsApp
8439014110

Official Facebook Page

Official Twitter

Official Instagram

Youtube Channel Rishi Chintan

Youtube Channel Shantikunjvideo

👉 दूसरों के दोष ही गिनने से क्या लाभ (भाग 1)

अगर है मंजूर तुझको बेहतरी, न देख ऐब दूसरों का तु कभी।
कि बदबीनी आदत है शैतान की, इसी में बुराई की जड़ है छिपी।

महात्मा ईसा ने कहा है कि “दूसरों के दोष मत देखो जिससे कि मरने के उपरान्त तुम्हारे भी दोष न देखे जावें” और तुम्हारा स्वर्गीय पिता तुम्हारे अपराधों को क्षमा कर दें। यदि आप दूसरों के दोषों को क्षमा नहीं करते तो आप अपने दोषों के लिए क्षमा पाने की आशा क्यों करते हैं?

मनुष्य का पेट क्यों फूला-फूला सा रहता है और उसकी पीठ क्यों पिचकी रहती है इसका कारण तनिक विनोद पूर्ण ढंग से एक महाशय इस प्रकार बताते हैं कि इन्सान दूसरों के पाप देखा करता है इसलिए दूसरों की पाप रूपी गठरी उसके सामने बंधी रहती है पर उसे अपने ऐब नहीं दिखाई देते, वह उनकी और पीठ किए रहता है इसलिए उसकी पीठ चिपकी रहती है।

एक बार भगवान बुद्ध के पास दो व्यक्ति परस्पर लड़ते-झगड़ते हुए हुए आए। एक दूसरे के लिए कहता था कि महाराज इसके आचरण कुत्ते जैसे हैं इसलिए यह अगले जन्म में कुत्ता होगा। दूसरा पहले के लिए कहता है कि महाराज इसके आचरण बिल्ली जैसे हैं और यह अगले जन्म में बिल्ली होगा। भगवान बुद्ध ने बात समझ ली ओर पहले से कहा कि तेरा साथी तो नहीं पर तुझे ही अगले जन्म में कुत्ता होना पड़ेगा क्योंकि तेरे हृदय में कुत्ते के संस्कार जम रहे हैं कि कुत्ता इस प्रकार आचरण करता है। इसी तरह उन्होंने दूसरे से कहा कि वह खुद बिल्ली होगा।

.....क्रमशः जारी
📖 अखण्ड ज्योति-अप्रैल 1949 पृष्ठ 17
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1949/April/v1.17


All World Gayatri Pariwar Official  Social Media Platform

Shantikunj WhatsApp
8439014110

Official Facebook Page

Official Twitter

Official Instagram

Youtube Channel Rishi Chintan

Youtube Channel Shantikunjvideo

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...