गुरुवार, 18 जनवरी 2024

👉 आत्मचिंतन के क्षण 18 Jan 2024

प्रलोभन एक तेज आँधी के समान है, जो मजबूत चरित्र को भी, यदि वह सतर्क न रहे, गिराने की शक्ति रखता है। जो व्यक्ति सदैव जागरूक रहता है, वह ही संसार के नाना प्रलोभनों, आकर्षणों, मिथ्या दम्भ, दिखावा, टीपटाप से मुक्त रह सकता है। यदि एक बार आप प्रलोभन और वासना के शिकार हुए तो वर्षों उसके प्रायश्चित करने में लग जावेंगे।

धर्म के लिए, धर्म के कारण कभी कोई झगड़ा नहीं होता। झगड़ों का कारण है-साम्प्रदायिकता। साम्प्रदायिकता का अर्थ है-संकीर्णता, अनुदारता, स्वार्थपरता, अहंकारिता। यह दूषित मनोवृत्ति जिस क्षेत्र में प्रविष्ट हो जाती है, वहीं समाज में भारी विद्वेष, घृणा, शोषण, उत्पीड़न, क्रूरता तथा अनाचार का बोलबाला कर देती है। द्वेष और ईर्ष्या की जननी मानवता की शत्रु इस राक्षसी का परित्याग करना ही उचित है।

जुआ का व्यसन हर तरह से हानिकारक और पतनकारी है। जो हारता है, वह तो तरह-तरह की आपत्तियों में फँस जाता ही है, पर जो जीतता है वह भी उसे मुफ्त का माल समझकर तरह-तरह की दुर्व्यसनों और खराब कामों में खर्च कर देता है। इससे उसकी आदत बिगड़ती है और बाद में अपनी कमाई को भी हानिकारक व्यसनों में खर्च करने लग जाता है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य


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