बुधवार, 11 मई 2022

👉 गलतियाँ और उनके सुधार

तैरना सीखने वाला डूब जाने के सिवाय और सब गलतियाँ कर सकता है। तब वह अचानक किसी दिन देखता है कि उसे तैरना आ गया। इसलिए गलतियाँ होती है तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह बिना गलतियाँ किये तैरना नहीं आता उसी तरह गलतियों के बिना जिन्दगी जीना भी नहीं सीखा जाता।

मनुष्य अपूर्ण है इसलिए उसके कार्यों में गलती हो सकती है। इसमें शर्म की कोई बात नहीं है शर्म की बात यह है कि गलती को सही साबित करने और उस पर अड़े रहने की कोशिश की जाय। गलती को ढूँढ़ना मानना और सुधारना किसी मनुष्य के बड़प्पन का कारण हो सकता है। जो सीखने और सुधारने में लगा हुआ है वही एक दिन उस स्थिति को पहुँचेगा जिसमें त्रुटियों और बुराइयों से छुटकारा मिलता है।

📖 अखण्ड ज्योति जून 1961

👉 चार आधार

मित्रो ! चार आधार भावी युग निर्माण के मूलभूत आधार, तथ्य एवं आदर्श होंगे। इन्हीं सिद्धांतों पर व्यक्ति के अधिकार एवं कर्तव्य निर्धारित किए जाएंगे। प्रथा-परंपरा, कानून एवं आवरण इन्हीं सिद्धांत पर खड़े किए जाएंगे। ये आधार हैं-
  
(१) धन पर समाज का स्वामित्व-व्यक्तिगत संपदा का अंत,

(२) जाति और लिंग के नाम पर बरती जाने वाली असमानता का अंत और मनुष्य मात्र के समान नागरिक अधिकारों की प्रतिष्ठपना,

(३) विश्व बंधुत्व की मान्यता, प्रत्येक क्रिया-पद्धति मेें सहकारिता का, कौटुंबिकता की प्रवृत्ति का प्राधान्य। विश्व राष्ट की स्थापना, समस्त संसार का एक शासन, एक धर्म, एक संस्कृति, एक भाषा, एक आचार आदि एक्य सूत्रों का सार्वभौम प्रचलन,

(४) व्यक्तिवाद का अंत, समूहवाद का उदय, अधिकार की उपेक्षा और कर्तव्य की निष्ठा-तत्परता, उदारता और सज्जनता की मात्रानुसार मानवीय गरिमा का मूल्यांकन।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...