शनिवार, 28 जनवरी 2023

👉 जीवन जीने की कला ही सच्ची साधना

कलाकार के हाथ अनगढ़ वस्तुओं को पकड़ते हैं और अपने उपकरणों के सहारे उन्हें नयनाभिराम सुन्दरता से भरते और बहुमुल्य बनाते हैं। कुम्हार मिट्टी से सुन्दर खिलौने बनाते हैं- मूर्तिकार पत्थर के टुकड़े को देव प्रतिमा में परिणत करता है। गायक बाँस के टुकड़े से वंशी की ध्वनि निनादित करता है। धातु का टुकड़ा स्वर्णकार केहथौड़े की चोट खाकर आकर्षक आभूषण बनता है। कागज, रंग और कलम से बहुमूल्य चित्र बनाने का कर्तृत्व कितना चमत्कार उत्पन्न करता है, इसे कोई भी देख सकता है।     

क्या वस्तुतः जीवन ऐसा ही है, जिसे रोते- खीझते किसी प्रकार पूरा किया जाना है? उसके उत्तर में इतना ही कहा जा सकता है कि अनाड़ी हाथों पड़कर हीरा भी उपेक्षित होता है, तो बहुमूल्य मनुष्य जीवन भी क्यों न भार बनकर लदा रहेगा। किन्तु यह भी स्पष्ट है कि यदि उसे कलाकार की प्रतिभा से सँभाला- सँजोया जाय, तो उसे निश्चय ही देवोपम स्तर का स्वर्गीय परिस्थितियों से भरा पूरा जिया जा सकता है।

साधना जीवन जीने की कला का नाम है। जो मानवी अस्तित्व की गरिमा समझ सका और उसे अनगढ़ स्थिति से निकालकर सुसंस्कृत पद्धति से जी सका, उसे सर्वोपरि कलाकार कह सकते हैं।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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👉 परिवर्तन चिह्न है प्रगति का

स्थिरता जड़ता का चिन्ह है और परिवर्तन प्रगति का ।। स्थिरता में नीरसता एवं निष्क्रियता है। किन्तु परिवर्तन नये चिन्तन और नये अनुभव का पथ प्रशस्त करता रहता है। जीवन प्रगतिशील है, अस्तु इसमें परिवर्तन आवश्यक होता है और अनिवार्य भी।       

प्रगतिशील परिवर्तन से डरते नहीं, उसका समर्थन करते हैं और स्वागत भी। आकाश में सभी ग्रह गोलक गतिशील हैं। इससे उनका चुम्बकत्व स्थिर रहता और उसके सहारे उनका मध्यवर्ती सहकार बना रहता है। यदि वे निक्रिय रहे होते, तो अपनी ऊर्जा गँवा बैठते ।। जो आगे नहीं बढ़ता वह स्थिर भी नहीं रह सकता। स्थिरता पर संकट आते ही, विकल्प विनाश ही रह जाता है। अस्तु जीवन को गतिशील रहना पड़ता है। जो निर्जीव है- वह भी गतिहीन नहीं है।

युग बदलते हैं। परिवर्तन क्रम में आशा और निराशा के अवसर आते हैं और चले जाते हैं। रात्रि और दिन, स्वप्न और जागृति, जीवन और मरण, शीत और ग्रीष्म, हानि और लाभ, संयोग और वियोग का अनुभव लगता तो परस्पर विरोधी हैं, अन्ततः वे एक दूसरे के साथ गुँथे रहते हैं और दुहरे रसास्वादन का आनन्द देते हैं। ऋण और धन धाराओं का मिलन ही बिजली की सामर्थ्य भरे प्रभाव को जन्म देता है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...