मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

👉 बसंत पर्व


गुरुवर का शुभ जन्मदिवस है, शुभ  मंगल कर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को, माँ गायत्री वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ गायत्री वर दे।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ भारती वर दे।।

ठिठुरन बीत गया है अब तो, मधुर मास है आया।
प्रकृति ने की नव श्रृंगार, सर्वत्र उल्लास है छाया।।
युग-निर्माण  को आतुर हैं हम, शक्ति सुधा भर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को, माँ गायत्री वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ गायत्री वर दे।

पक्षियों का कलरव कहता है,नया समय अब आया।
पतझर बीता, पुष्प खिले, कोयल ने तान सुनाया।।
खुशियों की चल पड़े बयार अब,जग में सुख भर दे।
बसंत पर्व पर हम  शिष्यों  को, माँ गायत्री वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ गायत्री वर दे।

पीत पवित्र पुष्पों की चादर, मन हर्षित करता है।
भंवरों का गुंजार ह्रदय को, अभिमंत्रित करता है।।
माँ  शारदा दिव्य ज्ञान दे, वाणी को नव स्वर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को, माँ गायत्री वर दे।।
वर दे,वर दे,वर दे, माँ गायत्री वर दे।

नव वसंत के, नयी उषा से, नया सूर्य चमकेगा।
नवयुग के इस नवल व्योम में,नव विहंग चहकेगा।।
हे युग ऋषि नव शक्ति भक्ति दे,मन निर्मल कर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को, माँ गायत्री वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ गायत्री वर दे।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ भारती वर दे।

उमेश यादव

👉 ऋतु बसंत है आया



मधुमास बसंत है आया, प्रेरक उमंग है लाया।
नव्य शक्ति से, नवल प्राण ले, नव संकल्प जगाया।।

झूम रहा है रोम-रोम तन, मन भी आज हर्षित है।
कण कण में उल्लास भरा,जड़ चेतन आकर्षित है।।
शांतिकुंज के हर जन मन में, दिव्य भाव है छाया।
नव्य शक्ति से, नवल प्राण ले, नव संकल्प जगाया।।

थिरक रहा है अंग अंग सुन, थापें अब गुरुवर के।
मन कोकिला चहकती है बस,माताजी के स्वर से।।
साँसों में  प्रभु तुम्ही बसे हो, तुझमें प्राण समाया।
नव्य शक्ति से, नवल प्राण ले, नव संकल्प जगाया।।

सौरभ-सुरभित दसो दिशा में, रम्य अलौकिक पावन।
किसलय कोंपल पुष्पित-पल्लवित, नैसर्गिक मनभावन।।
ज्ञान,  कला, संगीत सुशोभित, रंग बासंती छाया।
नव्य शक्ति से, नवल प्राण ले, नव संकल्प जगाया।।

तेरे  स्वर को कर्ण आतुर  हैं, पंचम  सुर  में गाओ।
मन  मयूर  नर्तन  करता है, नट हो आप नचाओ।।
श्रधेय-द्वय  के स्नेह प्यार से, दिव्य उछाह है छाया।
नव्य शक्ति से, नवल प्राण ले, नव संकल्प जगाया।।

उमेश यादव

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...